भीम के रूप में भगवान शंकर ने किया था त्रिपुरासुर का वध

Post by: Rohit Nage

इटारसी। कलयुग में कामी और धर्मी है तो आस्तिक और नास्तिक भी। पूरे ब्रम्हाण में भारत भूमि (India) ही ऐसी पवित्र माता है जिसमें 33 करोड़ देवी देवता वास करते है। सभी सुख शांति देने वाले है। इन सभी में भगवान शिव (Lord Shiva) का अपना अलग स्थान है। कलयुग में भी आस्था और धर्म के प्रति भटकाव न हो इस हेतु भगवान के लिंग स्वरूप में 12 ज्योर्तिलिंग देष के अलग अलग राज्यों में है। उक्त विचार अपने प्रवचन के दौरान आयोजन के मुख्य आचार्य पं. विनोद दुबे (Pt. Vinod Dubey) ने व्यक्त किए।

उन्होंने कहा कि सावन मास में शिवजी हंसमुख प्रवृत्ति के रहते है गुस्सा कम और स्नेह के भाव ज्यादा रहने से वे भक्तों पर निरंतर कृपा करते है। पं. विनोद दुबे ने भीमाशंकर ज्योर्तिलिंग (Bhimashankar Jyotirlinga) की कथा सुनाते हुए कहा कि महाराष्ट्र (Maharashtra) के पूणे (Pune) जिले के राजगुरू नगर (खेड़) तहसील से धोड़ेगांव के आगे सहयाद्रि पर्वत माला में भीमाशंकर की पहाडिय़ा है इसी पर्वत श्रृंखलाृ में भीमाशंकर ज्योर्तिलिंग का वास है। यहां पर आने के पहले श्रद्धालु चंद्रभागा नदी (Chandrabhaga River) में स्नान करके ही ज्योर्तिलिंग के दर्शन करते आते है। यहां के बारे में कहावत है कि यहां के वन पहले शाकिनी और डाकिन के नाम से कुख्यात थे। इतना ही नहीं ज्योर्तिलिंग के दर्शन करने पहले शेर भी आते थे।

भीमाशंकर ज्योर्तिलिंग की कथा से त्रिपुरासुर राक्षस के वध की कथा भी जुड़ी हुई है। प्राचीन काल में त्रिपुरासुर नाम का राक्षस बड़ा उनमत हो गया था। स्वर्ग, धरती और पाताल में उसने भारी उत्पाद मचा रखा था सभी देवगण व्याकुल हो चुके थे तब भगवान महोदव त्रिपुरासुर का वध करने स्वंय निकले उन्होंने विशाल भीमाकाय शरीर धारण किया उनका रूद्रावतार देखकर त्रिपुरासुर भयभीत हो गया दोनों में कई दिनों तक युद्ध चलता रहा। जब त्रिपुरासुर ने भगवान शंकर को समाप्त करने का मन में विचार किया तो शंकर ने भीम का विशाल रूप धारण किया और त्रिपुरासुर का वध किया इस कारण भी इस स्थान को भीमाशंकर कहते है।

मंदिर को दशावतार की मूर्तियों से सजाया गया है। 1721 ईसवी का 5 टन वजनी घंटा भी मंदिर के आकर्षण का केंद्र है। श्री दुर्गा नवग्रह मंदिर लक्कडग़ंज में भीमाशंकर ज्योर्तिलिंग की पूजा और अभिषेक यजमान देवेन्द्र /गीता पटेल, आनन्द स्वाति पटेल, राहुल नागईच ने किया। अभिषेक पं. सत्येंद्र पांडेय व पं. पीयूष पांडेय करा रहे हैं।

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