झरोखा: पंकज पटेरिया,
देवा दि देव महादेव भगवान शंकर कृपा के सागर सदा भोले भंडारी अपने भक्तो दुखी आर्तजनों पर दया दृष्टि रखते है, उनके दुख दर्द हरते है। इधर ज्योतिष शास्त्र में भी उनकी अनन्य कृपा की विषद महिमा कही गई है।विभिन्न अशुभ दशा अंतर दशाओं, दुर्योग, मारक आदि कष्टकारी अवधियो में भगवान शंकर की उपासना करने का परामर्श सिद्ध ज्योतिष प्रदान करते है। जिससे तकलीफ दाई दशाओं से ग्रस्त मनुष्य को राहत मिलती है। उसके पथ की विघ्न बाध्ये दूर होती है, ओर जीवन में सुख शांति आती है।
सुर्य महादशा: सूर्य महादशा की विविन्न अनिष्ट कारक अंतर दशा में महा मृत्युंजय मंत्र का जप करने से अशुभ प्रभाव ख़तम होता, आशुतोष की कृपा से रुके बिगड़े काम बनने सवरने लगते। चंद्रमा की महादशा में गुरु की अंतर दशा तकलीफ देह हो तो शिव सहस्त्र नाम के जप से शमन हों जाता है।
इसी तरह शनि की महादशा, चंद्रमा मे केतु की अंतर दशा चंद्र में शुक्र की, मंगल में मंगल की, मंगल मे अन्य ग्रह की अनिष्ट अंतर दशाओं की शांति शिव उपासना मंत्र, जप आदि से होती और जीवन सुखद होता।
इसी तरह शनि, राहु, केतु आदि अशुभ क्रूर ग्रहों की संताप कारी समय में, केसा भी दुख शोकआपदा विपदा मृतुन्जय पीड़ा की घड़ी में भगवान आशुतोष शिव की अपने सामर्थ्य साधन से पूजा पाठ उपासना जप आदि से सारी आदि व्याधि संकट दूर हो जाते है।
कुछ और ज्यादा भी नहीं, मात्र एक लोटा जल शिव पर अर्पण कर ॐ नम शिवाय, अथवा महामृत्युंजय मंत्र का जप करने शिव की कृपा बरसने लगती है। सारे दुख तकलीफ समाप्त हो जाती। जीवन की गाड़ी पुन सुख-शांति की राह पर चलने लगती है। आशुतोश तुम अवधर दानी, आरत हररूं दिन जन जानी।
पंकज पटेरिया संपादक, शब्द ध्वज होशंगाबाद
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