झरोखा: मौत के साज पर भारी जीवन का महा राग

Post by: Poonam Soni

पंकज पटेरिया। कोरोना कहर की भयावहता जग जाहिर है, बार बार उसका जिक्र करना, समझदारी नहीं, इससे हमारा मनोबल गिरता है। लिहाजा वक्त का तकाजा यह है कि हमे सजग रहना है,सावधान रहना है,सकारात्मक सोच के साथ जरूरी
निर्देश का पालन करना है,मास्क पहने,दूरी रखे। दूसरो को भी प्रेरित करे।अजीब हालत अक्सर आपदा विपदा के दौर में बन जाती है। सारा विश्व इस महा संकट का सामना कर रहा है। हमारा देश भी जन जीवन को बचाने में कोई कोर कसर बाकी नहीं कर रहा है। यह कटू सत्य है कि महा त्रासदी का दानव दैत्य भयानक अट्टहास कर रहा है,लेकिन यह भी शाश्वत सत्य शिव और सुंदर है कि नियन्ता के बाग में जीवन भी अंगड़ाई लेते खिलखिला रहा है। इटारसी वासी विश्व प्रसिद्ध गीतकार विपिन जोशी जी ने वर्षों पहले इस अटल सत्य का उद्घोष किया था।
मौत की आवाज आती हैं मगर जिंदगी जैसे मचलती आ रही, चल रहा है घाटियों से कारवां, हर कदम पर मिल रही खामोशियाँ ,घूम कर झुक झूम कर पथ चूम कर ले रहा मरघट स्वयं की फेरिया। चुप सितारों की सितारे है मगर रागिनी जैसी विहस्ती आ रही।
कवि युग दृष्टा होता है। ईश्वर की व्यवस्था कितनी बेहतरीन है और समतुल्य है। गहन काली अंधेरी रात के बाद सिंदूरी ध्वजा लहराते सूर्यदेव स्वर्ण किरणों के रथ पर सवार होकर नित्य आते है, नित्य जिंदगियां भर अंजुरियो में जल अर्घ्य देती है। फिर हम क्यों हताशा में डूबे। यह कठोर सत्य जो आंखो के सामने हो,दिल की धड़कन हो विदा होता है, ओझल होता है कलेजा फटता है, हृदय विदीर्ण होता है।हम उन क्षणों में नितांत निस्सहाय निष्चेष्ट और निरूपाय हो जाते है ।बस विधि के विधान को स्वीकारते हुए हमे डूबे उदास मन को संभालना होता है। ईश्वर सिर्फ सर्वशक्तिमान है। हम इधर उधर न भटके,प्रभु सब के हृदय में विराजमान है। वे हमारे साथ है केवल नाम स्मरण उनकी पुकार है,द्वार की दस्तक है, बस उनका निरन्तर स्मरण करते रहे। सुख शांति की भोर सुहानी बस उतरने को है। फिर मंदिरो में बजने को है शंख घडियाल मंत्र स्तुति, मस्जिदों से आयेगी अजाने,चर्च गुरदारो से फिर गूँजेंगी अरदास। बाज़ारों मोहल्लो में गूंजेंगे, हंसी ठिठोली ठहाके। चमक दमक गमक लौटेगी चहल पहल से फिर गुलजार होंगे ये चौराहे। और पुण्य सलिला नर्मदा जी के तटों पर नर्मदे हर के जय घोष। जिसमे फिर हमे भी शामिल हो कर जीवन के महा नन्द को मना ना है।
काल दूत यमदूतो से भय हरती रक्षा करती माँ
तेरे पद पंकज में रेवे सदा वंदना मेरी मां। याद रखिए मौत के साज सदा भारी होता है जीवन का महा राग।

pankaj pateriya

पंकज पटेरिया,
वरिष्ठ पत्रकार कवि
संपादक शब्द ध्वज ज्योतिष सलाहकार होशंगाबाद

Contect No.9893903003,9340244352

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