हरियाली अमावस्या पर स्वस्थ जीवन, स्वच्छ पर्यावरण का संदेश

Post by: Rohit Nage

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इटारसी। श्रावण मास की अमावस्या को हरियाली अमावस्या (Hariyali Amavasya) के तौर पर मनाया जाता है। इसे पर्यावरण से जोड़कर भी देखा जाता है और इस दिन पौधरोपण का विशेष महत्व माना जाता है। स्थानीय परंपरा अनुसार हरियाली अमावस्या के दिन मछुआरों द्वारा मनुष्य के सिर पर मछली का जाल डालकर उनको सालभर बुरी नजर से बचाए रखने की कामना भी की जाती है। इसी परंपरा का निर्वाह भी आज सुबह से किया जा रहा है। इसी पुरानी परंपरा का सहारा लेकर पर्यावरण प्रेमी ग्राम सुपरली (Village Superli) के किसान योगेन्द्रपाल सिंह सोलंकी (Yogendrapal Singh Solanki) ने पिछले कुछ वर्षों से एक नया ही चलन प्रारंभ करके लोगों को पर्यावरण बचाने का संदेश देने का तरीका निकाला है।

वे हर वर्ष हरियाली अमावस्या पर पौधों और वृक्षों पर मछुआरों से मछली का जाल ओढ़ाकर उनको बुरी नजर से बचाने की कामना करते हैं, ताकि ये पौधे वृक्ष बनें और वृक्ष सुरक्षित रहें ताकि पर्यावरण स्वस्थ बना रहे। इस वर्ष भी योगेन्द्र सोलंकी ने सुबह से अपने गांव के पौधों और वृक्षों पर मछुआरों से जाल डलवाया। सिर पर जाल रखकर की अच्छे स्वास्थ्य की कामना आज हरियाली अमावस्या पर मांझी मछुआ समाज ने स्थानीय पंरपरा अनुसार लोगों के सिर पर मछली का जाल ओढ़ाकर अच्छे स्वास्थ्य की कामना की। पुराने लोग बताते हैं कि यह हिन्दू संस्कृति का त्योहार है जिसे हमारी सनातन संस्कृति में हर पर्व उत्साह से मनाकर सुरक्षित पर्यावरण और सुरक्षित मानव जाति का संदेश दिया जाता है। स्थानीय बोली में इसे हरि जिरोती भी कहा जाता है। इस दिन मछुआरा समाज के सदस्य घर के दरवाजे एवं उस घर के सदस्यों के ऊपर जाल रखता है। यह शुभ दस्तूर परिवार की स्वस्थ मंगल कामना के लिए किया जाता है।

इस उपलक्ष्य में जिसके सिर पर जाल ओढ़ाया जाता है वे अपने सामर्थ के अनुसार मछुआरों को बड़े प्रेम से अनाज या रुपए पैसे भेंट में देते हैं। पौराणिक दृष्टि से हरियाली अमावस्या नारद पुराण के अनुसार श्रावण मास की अमावस्या को पितृ श्राद्ध, दान, होम और देव पूजा एवं वृक्षारोपण आदि शुभ कार्य करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है। हमारी धर्म संस्कृति में वृक्षों को देवता स्वरूप माना गया है। श्रावण मास में महादेव के पूजन का विशेष महत्व है लेकिन हरियाली अमावस्या पर विशेष तौर पर शिव-पार्वती के पूजन करने से उनकी कृपा बनी रहती है और प्रसन्न होकर वे अपने भक्तों की हर मनोकामना को शीघ्र पूर्ण करते हैं। जिन लोगों की कुंडली में कालसर्प दोष, पितृदोष और शनि का प्रकोप है वे हरियाली अमावस्या के दिन शिवलिंग पर जलाभिषेक,पंचामृत या रुद्राभिषेक करें तो उन्हें लाभ होगा। इस दिन शाम के समय नदी के किनारे या मंदिर में दीप दान करने का भी विधान है।

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