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मां नर्मदा जीवित इकाई है, इस बेरहमी से रेत उत्खनन इसके प्रबंधन को खत्म करेगा

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नर्मदापुरम। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के लिए महत्वपूर्ण नर्मदा (Narmada) जो जीवन दायनी कहलाती है, कृषि की आवश्यकता पूर्ण कर रही है, नागरिकों की प्यास बुझा रही है, घरों को रोशन करने, उद्योग चलाने विद्युत उत्पादन में अपना योगदान नर्मदा देती ही है। निर्माण कार्य हेतु रेत भी उपलब्ध यहीं से हो रही है, परंतु जिस अवैज्ञानिक और अवैधानिक तरीके से तटों से, नर्मदा के अंदर से रेत का उत्खनन हो रहा है, उस पर ध्यान नहीं दिया जा रहा जिम्मेदार अधिकारी चाहे कलेक्टर (Collector) हों, एसपी (SP) हों, माइनिंग अधिकारी (Mining Officer) हों, सब आंख मूंद कर बैठे हैं।

सरकार के बनाये नियमों के पालन की जिम्मेदारी जिले के अधिकारियों की होती है और जब अधिकारी नियमों का पालन नहीं करते हैं तो अराजक तत्वों के हौंसले बुलंद होते हैं, वो बेधड़क होकर अवैध कार्य करते हैं, बड़ी पोकलेन मशीनों (Poklane Machines) से उत्खनन, बीच नर्मदा तक आकर ट्रैक्टर (Tractors) मशीनों से, पनडुब्बी से चल रहा खनन अति संवेदनशील विषय है। यह नर्मदा की पर्यावरण तंत्र को नष्ट करेगा, करोड़ों लोगों के साथ, सैकड़ों प्रकार की जैव विविधता को नष्ट करने का कुत्सित प्रयास इन रेतासुरों की करतूत के कारण होगा। इसे संवेदनशील विषय मानकर कार्य करने की आवश्यकता है।

पूर्व नपाध्यक्ष ने अफसरों को भेजी चूड़ी

नर्मदापुरम नगर पालिका (Narmadapuram Municipality) के पूर्व अध्यक्ष डॉ. अखिलेश खंडेलवाल (Dr. Akhilesh Khandelwal) ने नर्मदा से अवैज्ञानिक और अवैधानिक तरीके से रेत उत्खनन रोकने में असफल सीहोर प्रशासन (Sehore Administration) को चूड़ी भेजने का अभियान प्रारंभ किया है। उन्होंने कोरियर के माध्यम से कलेक्टर, एसपी और खनिज अधिकारी को चूडिय़ों भेजी हैं, इस लानत के साथ कि सबकुछ स्पष्ट दिखने के बावजूद अधिकारियों की आंखों में ऐसा कौन सा मोतियाबिंद है, जो उन्हें उत्खनन नहीं दिखाई देता। नर्मदा के उस पार जहां सीहोर जिले की सीमा लगती है, पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chauhan) का गृह क्षेत्र, विधानसभा लगती है। नर्मदापुरम (Narmadapuram) में सर्किट हाउस से, सेठानी घाट से, कोरी घाट से, यहां तक कि कलेक्ट्रेट के पास से भी स्पष्ट देखा जा सकता कि रेत माफिया कितनी तेजी से अवैध उत्खनन करके नर्मदा का सीना छलनी कर रहा है, बावजूद इसके अफसरों को यह क्यों नहीं दिखाई देता है। देखना है कि पूर्व नपाध्यक्ष खंडेलवाल का यह अभियान अफसरों का जमीर जगायेगा? यदि सोया होगा तो जाग सकता है, मर ही गया होगा तो फिर जिंदा होने की उम्मीद करना बेमानी होगी।

Rohit Nage

Rohit Nage has 30 years' experience in the field of journalism. He has vast experience of writing articles, news story, sports news, political news.

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