बच्चों को संस्कारित और सदाचारी बनाने प्रेरित किया

Post by: Rohit Nage

नर्मदापुरम। ग्राम निनोर (Village Ninor) में चल रही शिव महापुराण कथा (Shiv Mahapuran Katha) के तीसरे दिन सोमवार को भागवतभूषण आचार्य पुष्कर परसाई (Acharya Pushkar Parsai) ने नारद मोह प्रसंग (Narad Moh Prasang) का वर्णन किया। कहा कि महादेव (Mahadev) ने जिस स्थान पर कामदेव को भस्म किया उसी स्थान पर नारद तप करने लगे। तप से कामदेव के भयभीत होने पर नारद को अभिमान हो गया कि उन्होंने काम पर विजय प्राप्त कर ली।

भगवान विष्णु (Lord Vishnu)ने माया के द्वारा विश्व मोहिनी स्वयंवर में नारद को आसक्त देखकर वानर रूप दे दिया जिससे कुपित होकर उन्होंने विष्णु जी को शाप दिया। विष्णु के अवतार भगवार राम को सीता वियोग में वानरों व भालुओं संग 14 वर्ष का जीवन यापन करना पड़ा। आचार्य श्री ने बताया कि मानव जीवन के कल्याण के लिए पुराण में नारद भक्ति क्रमश: श्रवण, कीर्तन, स्मरण, वंदना, पूजन और आत्म निवेदन का मार्ग है। इस दौरान आचार्य ने यज्ञदत्त की कथा सुनाते हुए बच्चों को संस्कारित और सदाचारी बनाने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने बताया कि शिव भक्ति से जीवन में यश, बल, बुद्धि, विद्या और दीर्घ आयु के साथ ही सुख समृद्धि भी प्राप्ति होती है।

आचार्य श्री ने कुबेर के पूर्व जन्म का वर्णन किया। पूर्व जन्म में कुबेर एक ब्राह्मण थे जिनका नाम तो गुणनिधि था, कुसंग में पड़ गया था, एक दिन वह भोजन की तलाश में गांव-गांव भटक रहे थे। उस दिन उन्हें किसी ने भोजन नहीं दिया। भूख और प्यास से परेशान गुणनिधि, भटकते-भटकते जंगल की ओर निकल पड़े, तभी गांव का सेठ अपने साथ भोग की सामग्री लेकर जाते हुए दिखाई दिए। भगवान शिव को भोग अर्पित कर भजन-कीर्तन में मग्न हो गए।

गुणनिधि शिवालय में भोजन चुराने की ताक में बैठे थे। उन्हें भोजन चुराने का मौका रात में तब मिला, जब भजन-कीर्तन समाप्त कर सभी सो गए। गुणनिधि प्रसाद चुराकर भागने लगे। भागते समय गुणनिधि को देख लिया और चोर-चोर चिल्लाने लगा। गुणनिधि जान बचाकर वहां से भाग निकले, लेकिन नगर के रक्षक का निशाना बन गए और वहीं उनकी मृत्यु हो गई। भोग चोरी कर भागते वक्त गुणनिधि की मौत हो गई, परंतु अनजाने में उनसे महा शिवरात्रि के व्रत का पालन हो गया तथा वह उस व्रत से प्राप्त होने वाले शुभ फल के हकदार बन गए। अनजाने महाशिवरात्रि के व्रत का पालन हो जाने की वजह से गुणनिधि अगले जन्म में कलिंग देश के राजा बने। इसके पश्चात आचार्य श्री ने दीपदान का महत्व बताया। कथा का समय नित्य 2 बजे से 5 बजे तक है।

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