झरोखा: पंकज पटेरिया:
हमारे प्रदेश की जीवन रेखा पुण्य सलिला मां नर्मदा हैं। नर्मदा मैया जलदा, अन्नदा और हमारी प्राणदा हैं। माताजी की गोद में बसी नगरी का प्राचीन नाम नर्मदापुर था, यह बात विभिन्न ग्रंथो ओर इतिहासवेत्तो की गहन खोज अध्ययन से प्रमाणित हो चुकी है। लिहाजा सभी नर्मदापुरवासियों को शासकीय तौर तरीके से इस मामले को शासन तक उचित माध्यम से भेजना चाहिए। यह बात पूर्व विधानसभा अध्यक्ष एवं विधायक डॉ. सीतासरन शर्मा ने इन दिनो शहर में उठ रही मांग को लेकर कही। विधायक डॉ. शर्मा ने इस संदर्भ में इंडियन एन्टीक्वेरी जनरल ऑफ ओरियंटल रिसर्च-जॉने फेथफुल फ्लीट एंड रिसर्च कॉरनेक टेंपल वाल्यूम 16-1887 में उल्लेखित पंक्तियां भी प्रस्तुत की।
दरअसल पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष अखिलेश खंडेलवाल ने भी तदाशय की मांग की है। उन्होंने अपने वक्तव्य में कहा है कि 2016 में इस सम्बन्ध में प्रस्ताव भेजा गया था, जिला योजना समिति से प्रस्ताव पास भी हुआ था, लेकिन मामला आगे नहीं बढ़ा। 2016 में एक प्रस्ताव नपा क्रमांक 107 शासन को भेजा गया था लेकिन तब कुछ नहीं हुआ। इस मामले में नर्मदा युवा मंडल भी जनमत संग्रह कर रहा है। यहां यह जिक्र करना मोजूं है कि प्रख्यात इतिहासकार, पुरातत्वविद और लेखक स्व. डॉ. धर्मेंद्र प्रसाद ने चार दशक पहले अग्रवाल धर्मशाला में एक बैठक आहूत की थी, जिसमे शहर के बुद्धिजीवी, साहित्यकार, अधिवक्ता, समाजसेवी व्यक्तियों ने शिरकत की थी। जिसमें पंडित हरिहर व्यास, श्याम लाल अग्रवाल एडवोकेट हरिशंकर तिवारी, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी मोतीलाल जैन, समालोचक डॉ. आरपी सीठा, नारायन प्रसाद आजाद जैसे गणमान्य लोग शामिल हुए थे। प्रमुख शिक्षाविद ओर सुप्रसिद्ध अधिवक्ता स्व. पंडित रामलाल शर्मा जी से भी मार्गदर्शन लिया गया था। उन्होंने उचित सलाह भी दी थी। मै उन दिनों दैनिक भास्कर का संवाददाता था। अन्य पत्रकार स्व. कल्याण जैन, तुलसी दास, यानी सभी ने अखबारों में खबरे दी थी।
बैठक में हस्ताक्षर अभियान चलाने की बात भी हुई थी। लेकिन मामला आगे नहीं बढ़ा। इतना जरूर हुआ कि किसलय संस्था, शिवसंकल्प साहित्य परिषद, श्री मनुतुलसी मंच सहित कई कवि, साहित्यकार लिखा-पढ़ी और व्यवहार में कोष्ठक में नगर का नाम ‘नर्मदापुरम’ जरूर लिखने लगे। डॉ. धर्मेंद्र प्रसाद ने अपनी चर्चित पुस्तक में प्रामाणिक रूप से यह उल्लेख किया है कि 15वी शताब्दी के पूर्व होशंगाबाद का नाम नर्मदापुर था। बाद में कोई राजा ने यह नाम बदला। डाक्टर धर्मेंद्र प्रसाद अपने तरीके से जब-तब यह मांग दोहराते रहे, लेकिन आश्वासन के आम कभी फले नहीं। अब फिर मांग की जा रही है, यह स्वागत योग्य है। मां नर्मदा जी के प्रति धर्म प्राणजनो की श्रध्दा-आस्था का सम्मान करते हुए व्यक्तिगत राग, द्वेष, वैचारिक मतभेद को त्याग कर एक साथ एक मंच से समाज के हर तबगे को लेकर इस दिशा में पहल की जाती है, तो नि:संदेह परिणाम अच्छे होगे। प्रदेश के संवेदनशील, कर्मयोगी मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिह जी की नर्मदा मैया के प्रति भक्तिभाव आस्था सुविदित है, वे मां रेवा की गोद में पले बढे है। आशा की जानी चाहिए सभी की आहुति इस अनुष्ठान को सफल बनाएगी।
पंकज पटेरिया (Pankaj Pateria)
वरिष्ठ पत्रकार, कवि, सम्पादक-शब्दध्वज
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