इटारसी। पतित पावनी मां नर्मदा की कतार में जो भी जनमानस रहते हैं वह सुख शांति के साथ ही आर्थिक रूप से भी संपन्न रहते हैं। उक्त विचार महाराज मधुसूदन ने संस्कार मंडपम सोनासांवरी में व्यक्त किए। लोक शांति एवं जन कल्याण के लिए दीनदयाल पटेल परिवार द्वारा आयोजित श्री नर्मदा पुराण कथा महोत्सव के पांचवे दिवस में उपस्थित श्रोताओं के अपार समूह के समक्ष सत्संग की महत्वता का वर्णन करते हुए आचार्य मधुसूदन ने कहा कि मानव जीवन में परमात्मा की कृपा प्राप्त करने का सरल उपाय तो सत्संग है ही, मृत्यु उपरांत नर्क के 28 द्वारों से हमारी दिवंगत आत्मा को परमात्मा में विलीन करने का कार्य सत्संग से मिला पुण्य फल ही करता है। मां नर्मदा की महिमा का वर्णन पुराण के माध्यम से करते हुए मनीषी मधुसूदन महाराज ने कहा कि नर्मदा जी के उद्गम स्थल से लेकर निर्गम स्थल तक जो भी जनमानस इसकी कछार भूमि में निवास करते हैं उनके जीवन में सुख शांति के साथ ही आर्थिक संपन्नता भी बनी रहती है हमारा तो पूरा प्रदेश से ही मां नर्मदा की कतार में आता है इसलिए यह पूरे देश में शांति का टापू भी कहा जाता है मां नर्मदा तो हमारे पूरे प्रदेश की हम सबकी जीवनदायिनी है आता है उसकी जलधारा निर्मल और अविरल बनी रहे इसके प्रयास हम सबको करते रहना चाहिए। कथा के आरंभ में मुख्य जवान दीनदयाल मिश्रीलाल बलराम एवं अनिरुद्ध पटेल ने मां नर्मदा की पूजा अर्चना कर प्रवचन कर्ता महाराज मधुसूदन का स्वागत किया स्वागत संचालन पूर्व जिला शिक्षा अधिकारी ब्रज किशोर पटेल ने किया।
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नर्मदा की कछार में शांति और संपन्नता है: आचार्य

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