नज़्म: अब तुम आना तो…

Post by: Poonam Soni

तुम्हारे इंतज़ार में
कभी काजल लगाते हैं
कभी आईने में
खुद को संवारते हैं
अब तुम आना तो
ठहर जाना शब तक

ये दिल जाने
कितनी ही बातें
करना चाहता है
कितने ही इश्किया से
राज़ बयां करना चाहता है
अब तुम आना तो
ठहर जाना सहर तक

दिल तो क्या
ये रूह भी नहीं चाहती
अब दूरियां
ख्वाहिश है कि
हो एक बंधन दर्मियां हमारे
अब तुम आना तो
ठहर जाना जीवन की सांझ तक ।

Aditi tandan

अदिति टंडन
आगरा

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