नर्मदापुरम। प्राय: देखने में आता है कि पुलिस (Police) आरोपी को गिरफ्तार करते समय या न्यायालय (Court) में पेश करते हुए हथकड़ी लगाती है। पूर्व दंड प्रक्रिया संहिता 1973 (Criminal Procedure Code) 1973 (CrPC) की धारा 46 में गिरफ्तारी की प्रक्रिया के संबंध में प्रावधान था कि पुलिस द्वारा किसी व्यक्ति की गिरफ्तारी के दौरान यदि उस व्यक्ति के द्वारा गिरफ्तार किए जाने का बलपूर्वक विरोध किया जाता है, या गिरफ्तारी से बचने का प्रयास किया जाता है, तो ऐसी स्थिति में पुलिस अधिकारी को गिरफ्तारी के लिए आवश्यक कोई भी साधन उपयोग में लाने का अधिकार था, किंतु पुलिस किसी व्यक्ति को अपनी शक्ति का उपयोग करते हुए हथकड़ी (Handcuffs) नहीं लगा सकती थी।
इस संबंध में उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने कई न्याय दृष्टांतों में कहा है कि अगर परिस्थितियां ऐसी विद्यमान हैं, जिसमें बंदी का आचरण या चरित्र इस प्रकार है, जिसमें उसे हथकड़ी लगाने का युक्ति-मुक्त कारण है कि यह अभिरक्षा से भाग जाएगा या वह लोक शांति को भंग करेगा या वह हिंसा करेगा तो ऐसे में पुलिस उस व्यक्ति को हथकड़ी लगा सकती है। परंतु बिना किसी कारण के किसी व्यक्ति लगाई जाती है यह उसके मूल अधिकार का उल्लंघन होगा।
उक्त पूर्व संहिता की धारा 46 के अधीन विशेष परिस्थितियों में पुलिस गिरफ्तार व्यक्ति को हथकड़ी लगा देती थी, और हथकड़ी लगाए जाने के कारण न्यायालय के समक्ष दर्शित करना होता था। क्योंकि संहिता की उक्त धारा में उन परिस्थितियों के संबंध में कोई उल्लेख नहीं था, कि कब पुलिस किसी गिरफ्तार व्यक्ति को हथकड़ी लगा सकती थी।
इस बात को ध्यान में रखते हुए विधि निर्माताओं द्वारा उक्त पूर्व संहिता के स्थान पर नवीन भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 को पारित करते समय पूर्व दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 46 में उप बंधित प्रावधान का अवलोकन करते हुए प्रावधान में कमी को दूर करते हुए अब नवीन संहिता 2023 की धारा 43 की उपधारा 3 में उन परिस्थितियों को स्पष्ट रूप से उपबंधित किया गया है जिसमें पुलिस अधिकारी अपराध की प्रकृति और स्वरूप एवं गंभीरता को ध्यान में रखते हुए किसी गिरफ्तार व्यक्ति को हथकड़ी लगा सकता है। अब पुलिस के द्वारा ऐसे अपराधी की गिरफ्तार करते समय हथकड़ी लगाया जा सकता है, जो अभ्यासिक या आदतन अपराधी है, या अभिरक्षा से निकल भागा है, या जिसने संगठित अपराध, आतंकवादी कृत्य, ड्रग्स से संबंधी अपराध, अस्त्र और शस्त्र पर अवैध कब्जे, हत्या, बलात्संग, अम्ल हमला, सिक्कों और करेंसी नोट का कूटकरण, मानव दुव्र्यापार, बच्चों के विरूद्ध लैंगिक अपराध या राज्य के विरुद्ध अपराध को कारित किया है।
अत: इस प्रकार पूर्व दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 के प्रचलन में पुलिस प्रशासन को अनुसंधान के दौरान माननीय सवोच्च न्यायालय के न्यायदृष्टांत के उपरांत गंभीर अपराधियों को हथकड़ी लगाने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था, किंतु वर्तमान नवीन विधि भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 के प्रभाव में आने के पश्चात् अब पुलिस प्रशासन को अनुसंधान की राह आसान हुई। अत: इस प्रकार पूर्व दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 के प्रचलन में पुलिस प्रशासन को अनुसंधान के दौरान माननीय सवोच्च न्यायालय के न्यायदृष्टांत के उपरांत गंभीर अपराधियों को हथकड़ी लगाने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था, किंतु वर्तमान नवीन विधि भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 के प्रभाव में आने के पश्चात् अब पुलिस प्रशासन को अनुसंधान की राह आसान हुई।