होशंगाबाद। मांझी मछुआ कल्याण समिति(Manjhi mahua kalyaan samiti) ने वर्तमान में सहायक संचालक मत्स्योद्योग प्रभारी पर उनके वर्ष 2015 में मत्स्य निरीक्षक रहते हुए एक प्रशिक्षण की जांच करने की मांग की है। समिति ने कहा कि यह प्रशिक्षण फर्जी था और उस वक्त फर्जी अभिलेख तैयार कर भत्ता राशि में कथित तौर पर गड़बड़ी की गयी थी। नर्मदापुरम् आयुक्त, कलेक्टर, जिला पंचायत सीईओ(District Panchayat CEO), मुख्यमंत्री, मत्स्य विभाग प्रमुख सचिव को आवेदन के माध्यम से शिकायत कर कहा है कि होशंगाबाद जिले के वर्तमान सहायक संचालक मत्स्योद्योग प्रभारी एके डांगीवाल जो पूर्व में इस विभाग में मत्स्य निरीक्षक थे, उनकी भूमिका की जांच की जानी चाहिए। 11 मार्च 2015 से 25 मार्च 2015 को मत्स्य सहकारी समिति के 38 सदस्यों को 15 दिवसीय विभागीय मछुआ प्रशिक्षण फर्जी तरीके से अभिलेख तैयार कर शासन का दिया हुआ भत्ता-राशि 28000 रुपये निजी खाते में जमाकर आर्थिक गबन का संदेह है।
प्रशिक्षण पर सवाल उठाते हुए मांझी मछुआ कल्याण समिति के अध्यक्ष मोहन रायकवार(Chairman Mohan Raikwar) ने कहा कि मत्स्य सहकारी समितियों(Fisheries cooperatives) के सदस्यों को शासन की योजनाओं का लाभ का लालच देकर इन्हें गुमराह करके मछुआ प्रशिक्षण मस्टर रोल पत्रक में हस्ताक्षर एवं अंगूठा निशान फर्जी अभिलेख स्वयं ने तैयार किया था, जो वास्तविक मत्स्य सहकारी समितियों के सदस्यों के हस्ताक्षर एवं अंगूठा निशान से मेल नहीं होते हैं। इन सभी मत्स्य सहकारी समिति के सदस्यों के नाम मात्र के सदस्यों को विभागीय मछुआ प्रशिक्षण दिया गया है। श्री ने कमिश्नर एवं कलेक्टर से मांग की है कि 2019-20-21 का मत्स्य विभाग का शासकीय योजनाओं का बजट लगभग 1 करोड़ 70 लाख शासन से लिया है जो मप्र के सात जिलों के बराबर है। होशंगाबाद के मत्स्य कृषकों को अनुदान के लिए आया है। उसकी सूक्ष्म रूप से जिला स्तर पर जांच होनी चाहिए।
इस मामले में जब सहायक संचालक मत्स्योद्योग प्रभारी एके डांगीवाल को फोन लगाया तो उन्होंने सवाल तो सुना, लेकिन जवाब देने से पूर्व कॉल डिस्कनेक्ट कर दिया। इसके बाद उनका फोन लगातार व्यस्त ही बता रहा है।