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विशेष : हर राखी अपने साथ लाती है पुरानी यादेँ

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: पंकज पटेरिया –
नर्मदापुरम की वह कालोनी भी अब जमीदोज हो रही है, जिसे तवा कालोनी पुकारते थे। जमींदोज हो जाएगा कल परसों वह अमरूदो वाला पेड़ जिसमे रहते थे बेहद खुश मिजाज नेक दिल इंसान अल्फाज बाबू अपने परिवार सहित। उनकी थीं तीन बेटियां और दो बेटे और सामने मधु मालती और तीन नीलगिरी वाला हमारा घर था। पूरी कालोनी में सभी समाज के लोग आपसी भाईचारा प्यार स्नेह से मिलजुल कर रहते थे। मेरे दो बेटे मैं और पत्नी को भी अल्फाज बाबू के परिवार के रूप एक बहुत आत्मीय जन मिले थे। उनकी तीन बेटियां शन्नो, नशी और अन्नू के रूप में तीन बड़ी बहने मिल गई थी। राखी पर बड़े सबेरे खूब सज कर हमारे घर सबसे पहले आने बाली सजी थाली लेकर जिसमे मिठाई, हाथो से रेशमी धागे की बनी राखिया होती थी। वे तीनों बहनें होती थी। वे बहुत खुशी खुशी मेरे बेटे लकी, मिकी को राखी बांधती थी। बच्चे भी मजे मजे उन्हे जो बनता भेंट करते थे। ऐसे ही होली, दिवाली, ईद पर हम लोग मिलकर सेलिब्रेट करते थे त्योहार। गीत, गजल, संगीत की महफिल सजती थी। समय अच्छा गुजर रहा था। बाद में बाबू जी और भाभी दिवंगत हो गए। बच्चे नौकरी मे बाहर चले गए। वो तीनो बेटियां शादी होकर कहीं बाहर विदा हो गई। लेकिन उनकी यादें सदा हमारे साथ है। मेरे बेटे राखी के आते ही उन्हें बहुत याद करते हैं बेटियां जहां हो इस समय सुखी रखे। और बाबूजी और भाभी की आत्मा को शांति।

नर्मदे हर

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