माता-पिता और बाहरी जरूरत से ज्यादा हस्तक्षेप से बिगड़ते हैं संबंध

माता-पिता और बाहरी जरूरत से ज्यादा हस्तक्षेप से बिगड़ते हैं संबंध

  • – नेशनल लोक अदालत में वैवाहिक विवादों में समझाईश देकर मामले सुलझे
  • – नेशनल लोक अदालत में 167 प्रकरणों से 20 लाख रुपए की वसूली

इटारसी। मध्यप्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण जबलपुर के निर्देश के पालनार्थ प्रधान जिला एवं सेशन न्यायाधीश एवं अध्यक्ष सतीष चन्द्र शर्मा (Satish Chandra Sharma )जिला विधिक सेवा प्राधिकरण नर्मदापुरम् के निर्देशानुसार तहसील विधिक सेवा समिति, इटारसी के तत्वावधान में आज व्यवहार न्यायालय, इटारसी में नेशनल लोक अदालत (National Lok Adalat) का आयोजन किया गया। नेशनल लोक अदालत का शुभारंभ प्रथम जिला न्यायाधीश एवं अध्यक्ष तहसील विधिक सेवा समिति इटारसी हर्ष भदौरिया (Harsh Bhadauria) ने मां सरस्वती के दीप प्रज्जवल एवं माल्यार्पन कर किया। शुभारंभ कार्यक्रम में द्वितीय जिला न्यायाधीश ललित कुमार झा (Lalit Kumar Jha), न्यायिक मजिस्ट्रेट निधि मोदिता पिंटो (Nidhi Modita Pinto), सूर्यपाल सिंह राठौर (Suryapal Singh Rathore), निखिल सिंघई (Nikhil Singhai), सुश्री पूर्वी राय (Ms. Purvi Rai) अधिवक्ता संघ से अध्यक्ष संतोष गुरयानी (Santosh Gurayani), सचिव पारस जैन (Paras Jain) अधिवक्ता विनोद चौहान (Vinod Chauhan) एवं जिनेन्द्र कुमार जैन (Jinendra Kumar Jain) उपस्थित रहे।

नेशनल लोक अदालत में न्यायालयों में लंबित 183 प्रकरणों का निराकरण हुआ जिसमें लगभग 90666183 रुपए के अवार्ड पारित किए। विभिन्न विभागों से संबंधित 187 प्रकरणों का निराकरण हुआ, जिसमें लगभग 2023302 रुपए रूपये की वसूली हुई एवं 537 व्यक्ति लाभान्वित हुए।

नेशनल लोक अदालत में हर्ष भदौरिया प्रथम जिला न्यायाधीश एवं अध्यक्ष तहसील विधिक सेवा समिति की खण्डपीठ क्रमांक 11 के समक्ष पक्षकारों के उपस्थित होने पर उन्हें समझाईश दी गई कि वैवाहिक विवादों के बढऩे का कारण सहनशीलता की कमी है और पति-पत्नी के पारस्परिक संबंधों में माता-पिता एवं अन्य बाहरी व्यक्ति का आवश्यकता से अधिक हस्तक्षेप होना महत्वपूर्ण कारण है। अत: किसी भी विवाद की स्थिति में सर्वप्रथम थोड़ी देर मौन रहना एवं अपने आपसी विवादों को आपस में ही थोड़ी देर उपरांत आपसी बातचीत द्वारा निपटाते हुए, बाहरी हस्तक्षेप की संभावना को कम कर इस प्रकार के वैवाहिक विवादों से बचा जा सकता है।

हर छोटी-छोटी बात को प्रतिष्ठा का प्रश्न बनाना, बढ़ते वैवाहिक विवादों का महत्वपूर्ण कारण है। इसके साथ ही एक-दूसरे की कमियों एवं खूबियों को स्वीकार न कर पाना भी ऐसे विवादों का दूसरा महत्वपूर्ण कारण है। इन बातों को समझते हुए इस प्रकार के वैवाहिक विवादों को खत्म कर या कम कर सकारात्मक परिणाम प्राप्त किए जा सकते हैं एवं भारत वर्ष में वैवाहिक संबंधों का समाज में जो उच्च स्तर रहा है, उसे बरकरार रखा जा सकता है।

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AUTHORRohit

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