नर्मदापुरम। शिवार्चन समिति (Shivarchan Samiti) के तत्वावधान एवं आचार्य सोमेश परसाई (Acharya Somesh Parsai) के सान्निध्य में संपूर्ण मास आयोजित महारुद्राभिषेक में आज आचार्य श्री ने शिवभक्तों को संबोधित करते हुए कहा कि भगवन् नाम का सदैव अभ्यास करना चाहिए, क्योंकि अंत समय में बड़े बड़े योगियों को भगवन् नाम लेना कठिन हो जाता है, यह केवल अभ्यास से संभव है। इसके पश्चात आचार्य श्री ने कहा कि हम भाग्यशाली हैं कि हमने नर्मदा (Narmada) के पावन तट पर जन्म लिया और यहां शिव भक्त (Shiv Bhakta) का हमें सौभाग्य प्राप्त हो रहा है।
गुरुदेव ने वाल्मीक (Valmik) जी का दृष्टान्त सुनते हुए कहा कि हमारे द्वारा किये गए शुभ अशुभ कर्मों का फल हमको ही भोगना पड़ता है। इसके पश्चात गुरुमंत्र का महत्व बताते हुए गुरुदेव ने कहा कि गुरु शिष्य की योग्यता अनुसार अपने शिष्य को गुरुमंत्र देते हैं यदि उस गुरु मन्त्र का श्रद्धापूर्वक जाप किया जाए तो शिष्य रत्नाकर (Ratnakar) से ब्रह्मर्षि वाल्मीक भी बन सकता है । इसके पूर्व शिवभक्तों से भगवान् शिव का दूध, दही, घी, शहद, शक्कर सहित दुर्लभ जड़ी बूटी व फलों के रस से भगवान को स्नान कराकर भगवान का वेद मन्त्रों से रुद्राभिषेक किया। रुद्राष्टक लिंगाष्टक के संगीतमय गान द्वारा भगवान का श्रृंगार किया गया।