लंगर के माध्यम से सेवा करने वाले रिंपी बिंद्रा नहीं रहे

लंगर के माध्यम से सेवा करने वाले रिंपी बिंद्रा नहीं रहे

दोस्तों अब रूठना, लडऩा बंद कीजिये, पता नहीं कौन सा मैसेज, कॉल या मुलाक़ात आखऱी हो

इटारसी। सचखंड लंगर सेवा समिति के प्रधान सेवक सुखजिंदर सिंघ बिन्द्रा गुरु की सेवा में चले गये। उन्होंने भोपाल में उपचार के दौरान इस दुनिया से विदाई ले ली। कोरोना काल 2020-21 में लगातार मानवता की सेवा करने वाले और प्यार से रिंपी भाई के नाम से परिचित रिंपी बिन्द्रा (Rimpy Bindra) ने कोरोना की भयावहता में उनकी 25 अप्रैल की पोस्ट थी, जिसमें उन्होंने लिखा था, मौत का तांडव चल रहा है, दोस्तों अब रूठना, लडऩा बंद कीजिये, पता नहीं कौन सा मैसेज, कॉल या मुलाक़ात आखऱी हो…..? उनके ये शब्द उन्हीं के लिए आखरी मैसेज बन गये। उनके निधन की खबर से इटारसी शहर में शोक की लहर है।
जब संपूर्ण शहर और ग्रामीण अंचल कोरोना की चपेट में आया तब एक जिंदादिल व्यक्ति रिंपी बिंद्रा सेवा के लिए मैदान में कूदा और सचखंड लंगर सेवा समिति के माध्यम से अपने समस्त साथियों के सहयोग से संपूर्ण लॉकडाउन में हजारों लोगों तक खाना पहुंचाने में अपनी भूमिका का निर्वहन किया। ऐसे सेवादार जिन्होंने भोजन को लेकर घर पहुंच की सेवा भी स्वीकार करते हुए भोजन की व्यवस्था की। एक जानकारी के अनुसार उनके मार्गदर्शन में 2020 के लॉक डाउन में सचखंड लंगर सेवा समिति ने जरूरतमंदों तक 74 दिन और 2021 के लॉकडाउन में 46 दिन गुरु के लंगर की व्यवस्था की और कोरोना से पीडि़त लोगों के घर भोजन पहुंचाकर सेवा की। उनकी इसी सेवा के कारण शहर का बच्चा-बच्चा सचखंड लंगर सेवा समिति के नाम से परिचित हो गया। उनके इस तरह चले जाने से शहर में दुख का माहौल है।

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