---Advertisement---
City Center
Vardhman school results
Click to rate this post!
[Total: 0 Average: 0]
  yasr-loader

त्याग और संघर्ष प्रभु श्रीराम से सीखा जा सकता है : आचार्य रामकृष्णाचार्य

By
On:
Follow Us

इटारसी। श्री द्वारिकाधीश बड़ा मंदिर तुलसी चौक में श्री राम जन्मोत्सव समिति के द्वारा 60 वे वर्ष में आयोजित श्री राम कथा महोत्सव में आज श्री श्री 1008 युवराज स्वामी श्री रामकृष्णाचार्य ने कहा कि आज का युग जिसे कलयुग कहा जाता है, स्वार्थ से भरा हुआ है। व्यक्ति एक दूसरे को नीचा दिखाने में अपने को बड़ा समझता है।

भाई,भाई का नहीं होता पिता, पुत्र का नहीं होता और पुत्र भी पिता का नहीं होता। परंतु अयोध्या के राज्य में दशरथ नंदन प्रभु श्री राम जिन्होंने मनुष्य स्वरूप में अवतार लिया, अपना जीवन भी मनुष्य के समान ही व्यतीत किया। आचार्य ने कहा कि एक युवा जिसे दूसरे दिन प्रात: काल युवराज बनना है, उसने पिता की आज्ञा मानकर वन में जाना स्वीकार किया। यहां तक तो ठीक था, लेकिन वन में भरत आए, उन्होंने राजपाट राम जी को देने की बात की, रामजी ने मना कर दिया और कहा कि तुम ही अयोध्या का राज करो। पिता का आदेश मेरे वन गमन के लिए है।

आचार्य ने कहा कि वन गमन के दौरान प्रभु श्री राम ने कई कष्ट झेले, परंतु किंचित मात्र भी उन्होंने अपने पिता को दोष नहीं दिया। आचार्य कहते हैं कि सीता हरण के पश्चात प्रभु श्री राम व्याकुल हुए परंतु हिम्मत नहीं हारी, क्योंकि प्रभु श्री राम का लक्ष्य असुरी शक्तियों का वध करना था। इसीलिए उनका जन्म हुआ था। प्रभु श्री राम का जीवन आलोकित है, इस संबंध में कथाकार जीवन में वास्तविक रूप से कथा पूरी कर ही नहीं सकते, क्योंकि हरि अनंत हरि कथा अनंता। हरि भी अनंत है और उनकी कथा भी अनंत है।

आचार्य ने कहा कि भाई भरत को वापस अयोध्या भेजा और प्रभु श्री राम सीता और लक्ष्मण के साथ आगे की वन गमन यात्रा के लिए रवाना हुए। श्रीराम पंचवटी पहुंचे, यहां उन्होंने कुछ समय बिताया मारीच सोने का हिरन बना, किस तरह सीता हरण हुआ उसका पूरा वृतांत बताया।

समिति के प्रवक्ता भूपेंद्र विश्वकर्मा ने बताया कि महाराज जी का स्वागत समिति के अध्यक्ष सतीश अग्रवाल सांवरिया, रमेश चांडक, कार्यकारी अध्यक्ष जसवीर सिंह छाबड़ा, सचिव अशोक शर्मा, कोषाध्यक्ष प्रकाश मिश्रा सहित नगर के प्रथम नागरिक नगरपालिका अध्यक्ष पंकज चौरे, नर्मदा हेल्थ ग्रुप के डायरेक्टर डॉ राजेश शर्मा,एवं मनोज सारन ने पुष्पहार से स्वागत किया। कथा के दौरान द्वारिकाधीश बड़ा मंदिर तुलसी चौक का पूरा परिसर खचाखच भरा था। आचार्य रामकृष्णाचार्य ने कथा प्रसंग को विस्तार से बताया।

उल्लेखनीय है कि श्री द्वारकाधीश बड़ा मंदिर की इस भव्य रामकथा में बड़ी संख्या में कटनी, सतना, हरदा, इटारसी, सिवनी मालवा, पिपरिया, बैतूल, नर्मदापुरम क्षेत्रों के महिला पुरुष श्रोता आ रहे हैं। समिति के द्वारा सभी की व्यवस्था की जा रही है। संगीत कलाकार सुनील साहू ने बांसुरी पर संगत दी। तबले पर संजू अवस्थी, बैंजो पर मिथिलेश त्रिपाठी ने संगत दी भजनों की सुमधुर प्रस्तुति सुश्री ललिता ठाकुर ने की।

Rohit Nage

Rohit Nage has 30 years' experience in the field of journalism. He has vast experience of writing articles, news story, sports news, political news.

For Feedback - info[@]narmadanchal.com
Join Our WhatsApp Channel
Advertisement

Leave a Comment

error: Content is protected !!
Narmadanchal News
Privacy Overview

This website uses cookies so that we can provide you with the best user experience possible. Cookie information is stored in your browser and performs functions such as recognising you when you return to our website and helping our team to understand which sections of the website you find most interesting and useful.