इटारसी। राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त विज्ञान प्रसारक सारिका घारू ने गणेश चतुर्थी से पहले ‘सेव वॉटर, सेव सॉइलÓ (जल बचाओ, मिट्टी बचाओ) का संदेश देने के लिए एक जागरूकता अभियान चलाया। उन्होंने लोगों से मिट्टी के गणेश खरीदने या खुद बनाने का आग्रह किया, ताकि वे पर्यावरण के साथ-साथ कई परिवारों की आजीविका की भी रक्षा कर सकें।
मिट्टी गणेश : धार्मिक और पर्यावरणीय महत्व
सारिका ने बताया कि मिट्टी गणेश का महत्व सिर्फ धार्मिक नहीं, बल्कि आध्यात्मिक और पर्यावरणीय भी है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, केवल मिट्टी की बनी गणेश प्रतिमा को ही शुद्ध और पवित्र माना गया है। मिट्टी की मूर्तियां विसर्जन के बाद जल को प्रदूषित नहीं करतीं, जिससे जलीय जीवों की रक्षा होती है। यह पर्यावरण संरक्षण का एक महत्वपूर्ण कदम है।
मिट्टी बचाओ और रोजगार बढ़ाओ
सारिका ने ‘सेव सॉइल’ के संदेश पर जोर देते हुए कहा कि मिट्टी प्रकृति का एक अनमोल उपहार है, जिसे बनने में लाखों साल लगते हैं। उन्होंने लोगों से अनुरोध किया कि वे या तो खुद मूर्ति बनाएं या फिर बाजार से खरीदें, लेकिन दोनों काम एक साथ न करें। इससे मिट्टी का अपव्यय होता है। उन्होंने समझाया कि बाजार से मिट्टी की गणेश प्रतिमा खरीदने से कुछ परिवारों के व्यवसाय को बढ़ावा मिलता है। इस तरह, हम पर्यावरण और कारीगरों के कौशल के साथ-साथ आर्थिक चक्र को भी मजबूत करने में मदद कर सकते हैं। यह एक ऐसा तरीका है जिससे हम गणेश उत्सव को और भी सार्थक बना सकते हैं।
आसान है मिट्टी की प्रतिमा बनाना
उन लोगों के लिए जो खुद से मिट्टी की मूर्ति बनाना चाहते हैं, सारिका ने बताया कि इसके लिए मिट्टी पर बैठना जरूरी नहीं है। आप अपनी सुविधा के अनुसार, घर पर या किसी वर्कशॉप में फर्नीचर पर बैठकर भी मूर्ति बना सकते हैं। यह संदेश उन लोगों के लिए था जो इस काम को कठिन मानते हैं। सारिका का यह अभियान पर्यावरण, रोजगार और समाज के प्रति जागरूकता बढ़ाने की दिशा में एक सराहनीय प्रयास है।








