स्कूलों ने ऑनलाइन क्लास तो शुरू कर दी, लेकिन क्या इसके दुष्प्रभाव आने लगे सामने

Post by: Poonam Soni

लाॅकडाउन में बच्चों की पढ़ाई का तरीका बदला, पन्नों से मुबाइल में पहुंची शिक्षा

इटारसी। दुनिया भर में लॉकडाउन(lockdown) के चलते सभी स्कूलों(schools) को भी बंद कर दिया गया है। स्कूलों में मार्च में परीक्षाएं(exams) भी हो जाती हैं और अप्रैल में फिर ने नया शिक्षण सत्र शुरू हो जाता है। लेकिन स्कूल बंद होने के कारण इस बार बच्चों की पढ़ाई नहीं हो पाई है।इस समस्या का खासकर प्राइवेट स्कूलों ने डिजिटल माध्यम से बच्चों को शिक्षा देने का उपाय निकाला। जिसमें ऑनलाइन क्लासेस वाट्सएप ग्रुप(whatsup group) बना कर बच्चों को पढ़ाया जा रहा है। लेकिन इन माध्यमों में जो पठन सामग्री बनाई गयी है या भेजी जा रही है वो बच्चों को ध्यान में रखते हुए नहीं बनाई गई जिससें उनकी पढाई पर खासा असर हो रहा है।

उपकरण एवं इंटरनेट(internet) की समस्या
ज्यादातर प्राइवेट स्कूलों का शिक्षा माध्यम अंग्रेजी है जिसे स्वयं से समझना इन बच्चों के लिए बहुत मुश्किल है। दूसरी बड़ी चुनौती इन बच्चों के ऑनलाइन क्लासेस के लिए आवश्यक संशाधनों का न होना है। ऑनलाइन क्लासेस(onine classes) के लिए एंड्रयाड फोन(anroid phone), कम्प्यूटर(computer), टैबलेट(tablet), ब्राडबैंड कनेक्शन(brodband connection), प्रिंटर(printer) आदि की जरूरत होती है। ज्यादातर ग्रामीण बच्चों के परिवार की आर्थिक स्थिति सही नहीं होती उसके चलते उनके पास डिजिटल क्लासेस के लिए आवश्यक उपकरण नहीं होते हैं जिसके कारण ये क्लास नहीं कर पा रहे जबकि इस समय इन बच्चों के क्लास के अन्य साथी ऑनलाइन क्लासेस के माध्यम से पढ़ाई कर रहे हैं। गिनने लायक परिवार ही ऐसे होगें जिनके पास ये उपकरण उपलब्ध होंगे।

ग्रामीण इलाकों(Rural areas)के बच्चों की दिक्क्तें

एक दिक्कत नेटवर्क की भी सामने आ रही है। लॉकडाउन के कारण अभी इंटरनेट का उपयोग बहुत हो रहा हैए जिसके चलते स्पीड कम हो गयी हैए इन बच्चों के परिवार के पास नेट प्लान भी कम राशि का होता हैए जिससे नेट में बारण्बार रुकावट आती हैए पठन सामग्री डाउनलोड होने में ज्यादा समय ले रही हैए क्वालिटी भी खराब होती है जिससे उसे पढ़ना और समझना बच्चों के लिए मुश्किल होता है।

मानसिक(mental)और स्वास्थ्य(health) सम्बन्धी समस्याएं
इन सबके अलावा ऑनलाइन पढ़ाई से बच्चों में आंखों में समस्या होने लगी है। याद करने की शक्ति भी कम हो रही है। क्योंकि बच्चा हर चीज कंप्यूटर पर सेव कर लेता है। किताब से तो कोई पढ़ाई हो नहीं रहीए जिससे बच्चा याद भी करे। शिक्षक मूल्यांकन के अभाव में बच्चे ऑनलाइन पाठ्यक्रम में उस रूचि से काम नहीं कर पा रहे जिस रूचि से वो विद्यालय में करते हैं। जिस तरह मोबाइल आने से हमें नंबर याद होना बंद हो गया है। उसी तरह से ऑनलाइन पढ़ाई से बच्चों की मेमोरी लॉस हो रही है।

मनोवैज्ञानिकों का कहना
मनोविश्लेषकों का मानना है कि ऑनलाइन पढ़ाई माध्यमिक कक्षा के बच्चों के लिए ठीक हैए लेकिन कई प्ले स्कूल एवं प्रारंभिक स्कूलों द्वारा भी छोटे उम्र के बच्चों के लिए भी ऑनलाइन माध्यम से पाठ्यक्रम शुरू की गई है। ऐसे में अभिभावकों को विशेष रूप से सजग रहने की जरूरत है। बड़े उम्र के बच्चों पर भी नजर रखे जाने की जरूरत है। लॉकडाउन को दो माह से अधिक समय बीत चुका है। घरों में अधिकांश समय मोबाइल और लैपटॉप से चिपके रहने के कारण बच्चों की रचनात्मक क्षमता प्रभावित हो सकती है। इसका सीधा असर बच्चों के मानसिक विकास पर होगा।

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