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श्री तरुण दुर्गा उत्सव समिति में पांच दशक से हो रही सेवा

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इटारसी। नवरात्र (Navratra) के आठ दिन गुजर गये, आज नवमी मनायी जा रही है। नगर और आसपास में दुर्गा पूजा (Durga Pooja 2021) की 8 दिनों तक धूम रही। पूजा पंडालों में आस्था का सैलाब ही उमड़ पड़ा। शहर के विभिन्न पूजा पंडालों में देवी भजन और मंत्र गूंजते रहे। संध्या बेला में मंत्रोच्चार की आवाज लोगों को अभिभूत कर रही थी। अनेक प्रतिमाएं नगर में ऐसी विराजीं जिनका जिक्र किये बिना दुर्गा उत्सव की महिमा का बखान अधूरा सा लगता है। मालवीयगंज (Malviyaganj) में स्थापित तरुण दुर्गा उत्सव की देवी प्रतिमा और आरएमएस कार्यालय (RMS Office) की भगवती प्रतिमा (Bhagwati Pratima)। मालवीयगंज में विराजीं मां का रूप अत्यधिक सादगीपूर्ण और सौम्य है। यहां कुछ ऐसा विशेष है, जिससे आज भी इनके जैसी शहर की कोई दूसरी प्रतिमा शांति की परिचायक नहीं होती। समिति के सभी सदस्य सदैव मां से विनती करते हैं कि वे सदा इस पावन पर्व नवरात्र में उनकी सेवा कर सकें।

साढ़े पांच दशक से हो रही मां की सेवा
मां की सेवा की यह यात्रा सन् 1966 से प्रारंभ हुई थी। इस दौरान मुख्य रूप से नन्हे होटल के मालिक स्व. नन्हेसिंह ठाकुर, किराना व्यापारी स्व. भैयालाल गुप्ता, स्व. अरविन्द अवस्थी, अमरीक सिंह सलूजा, मालक सिंह सलूजा, भगवान शंकर अखाड़े के संचालक एवं संरक्षक स्व. भगवानदास उस्ताद, स्व. सीताराम चौरे, स्व. रमेश मालवीय जो कि कारपेंटर थे और प्रत्येक वर्ष मां के पंडाल को सजाते संवारते थे। उस समय मूर्ति स्थापना का खर्च मात्र कुछ हजार रुपए होता था, और समिति का चंदा मात्र सौ रुपए तक ही होता था। बाकि राशि की व्यवस्था समिति के सभी सदस्य अपने आपस के सहयोग करके जुटाते थे। तरुण दुर्गा उत्सव समिति (Tarun Durga Utsav Committee) की शुरुआती बागडोर इन सभी ने लगभग सन् 1985-86 तक बखूबी पूरे उत्साह एवं भक्ति से निभायी। उसके बाद समिति में कुछ नए चेहरों का आगमन हुआ जो अभी तक इस परंपरा को लगातार अपने पूर्ण सहयोग व नवीन जोश से संभाले हुए हैं। समिति में शामिल एक सदस्य कपिल भाई ऐसे भी हैं जो बचपन से धर्म या जाति से नहीं अपितु कर्म और संस्कार से मां के भक्त हैं। ये बचपन से ही मां की मूर्ति स्थापना में तन-मन-धन से पूर्णत: सहयोगी हैं और आज भी पूरे जोश और नौजवानों की तरह ही मूर्ति स्थापना में कार्य करते हैं।

साढ़े छह सौ कर्मचारियों ने की सेवा की शुरुआत

rail dank
रेल डाक सेवा उपमंडल इटारसी (Rail Postal Service Sub-Division Itarsi) के कार्यालय परिसर में विराजने वाली मां दुर्गा की प्रतिमा इस वर्ष अपने 65 वे वर्ष में विराजित की गयी है। यहां विराजने वाली प्रतिमा स्थापना का इतिहास बहुत ही रोचक और हिंदुत्व की अलख जगाने वाला है। वर्ष 1957 के आसपास विभाग के लगभग छह सौ पचास कर्मचारियों ने स्वयं अपने विवेक से देवी मां की प्रतिमा स्थापना को मूर्त रूप दिया। आज बदलते परिवेश के चलते वर्तमान में 70 से ज्यादा कर्मचारी प्रतिमा स्थापना में अपना तन-मन-धन से सहयोग करते हैं।
यहां एक और ख़ास बात यह है कि यहां शुरुआत से ही मां गौरी के हर रूप को विभिन्न वर्षों में स्थापित किया है। यहां उपस्थित कर्मचारी सदस्यों ने बताया कि यहां मां को हर रूप में पूजा जाता है। एक सदस्य ने बताया कि यहां कभी भी किसी बाहरी व्यक्ति का हस्तक्षेप नहीं होता है। साथ ही सभी कर्मचारी सदस्य स्वयं ही राशि एकत्र कर प्रतिमा स्थापित करते हैं। हालांकि विभाग और प्रशासन का कई बातों में सहयोग मिलता है।

 

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