श्रीराम ने धनुष भंग कर तोड़ा रावण का अहंकार, सीताराम विवाह संपन्न

श्रीराम ने धनुष भंग कर तोड़ा रावण का अहंकार, सीताराम विवाह संपन्न

  • – श्री रामजन्म महोत्सव अंतर्गत श्री राम कथा का चतुर्थ दिवस

इटारसी। श्री द्वारिकाधीश बड़ा मंदिर (Shri Dwarkadhish Bada Temple) में श्री राम जन्मोत्सव समिति (Shri Ram Janmotsav Committee) द्वारा आयोजित श्रीराम कथा (Shri Ram Katha) के चतुर्थ दिवस कथा व्यास पं. नीलम गायत्री (Pt. Neelam Gayatri) ने रामकथा को विस्तार देते हुए कहा कि जनकपुरी (Janakpuri) में पूरी दुनिया के श्रेष्ठ राजा उस धनुष को तोडने आए थे जिसकी प्रतिज्ञा राजा जनक ने लेकर यह प्रण किया था कि जो भी इस धनुष को तोड़ेगा उस राजा से वह उनकी पुत्री जानकी (Janaki) का विवाह कर देंगे। कई देश के राजाओं ने प्रयास किए परंतु धनुष नहीं तोड़ पाए। तब राजा जनक को लगा कि उन्होंने यह प्रण नहीं लेना था।

राजा जनक ने जब कहा कि ऐसा लगता है, पृथ्वी वीरों से खाली हो गई है, उसी समय सभा में मौजूद लक्ष्मण (Laxman) को यह बात पसंद नहीं आई और उन्होंने राजा जनक की ओर इशारा करते हुए कहा कि जिस सभा में रघुवंशी बैठे हों वहां इस तरह की बातें शोभा नहीं देती। प्रभु श्री राम (Shri Ram) ने छोटे भाई लक्ष्मण के गुस्से को शांत किया। लंका के राजा दशानन रावण (Ravana) का भी अहंकार उस समय चकनाचूर हो गया। जब उनसे भी धनुष तोड़ते नहीं बना। तब सबकी निगाहें प्रभु श्रीराम पर थी, क्योंकि जानकी जी का विवाह प्रभु श्री राम के साथ ही विधाता ने निश्चित किया था। गुरु विश्वामित्र से आज्ञा लेकर प्रभु श्री राम ने धनुष भंग किया। पं. गायत्री ने कहा कि यह सब कुछ पलक झपकते ही हो गया, क्योंकि विधि का विधान निश्चित था।

कथाव्यास ने धनुष भंग के पहले पुष्प वाटिका में सीता जी का अपनी शक्तियों के साथ गिरिजा पूजन करने जाना, उसी रास्ते से प्रभु श्री राम लक्ष्मण का निकलना अत्यधिक आकर्षक ढंग से प्रस्तुत किया। किस तरह दोनों ने एक दूसरे को छुप छुप कर देखा था। राजा जनक ने अपने गुरु की आज्ञा लेकर महाराजा दशरथ को अयोध्या से बारात जनकपुरी लाने को कहा। इस हेतु जनकपुरी से अयोध्या के लिए पत्रिका लेकर विशेष दूत अयोध्या ( Ayodhya) भेजे गए। जिन्होंने राजा दशरथ को वह पत्रिका भेंट की। समिति के प्रवक्ता भूपेंद्र विश्वकर्मा (Bhupendra Vishwakarma) ने बताया कि समिति द्वारा वर्ष 1963 से यह आयोजन किया जा रहा है। इस बार 61वें वर्ष में यह आयोजन जारी है जिसका विश्राम श्रीराम नवमी के अवसर पर 17 अप्रैल को होगा। द्वारिकाधीश बड़ा मंदिर तुलसी चौक परिसर में बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं एवं सायंकाल 7 बजे से रात्रि 10 बजे तक श्रद्धालु रामकथा का भरपूर आनंद ले रहे हैं।

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AUTHORRohit

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