कोल्ड बेव पर राज्य ने जारी किये दिशा निर्देश

Post by: Rohit Nage

State issued guidelines on cold wave

इटारसी। शीत लहर का प्रभाव प्रत्येक वर्ष दिसंबर-जनवरी के महीनों में होता है और कभी-कभी विस्तारित शीत लहर की घटनाएं नवंबर से फरवरी तक होती हंै। सीएमएचओ डॉ दिनेश देहलवार ने बताया कि शीत ऋतु में वातावरण का तापमान अत्याधिक कम होने (शीत लहर) के कारण मानव स्वास्थ्य पर अनेक विपरीत प्रभाव जैस सर्दी जुकाम, बुखार, निमोनिया, त्वचा रोग, फेफड़ों में संक्रमण, हाईपोथर्मिया, अस्थमा, एलर्जी होने की आशंका बढ़ जाती हैं एवं यदि समय पर नियंत्रण न किया जाये, उस स्थिति में मृत्यु भी हो सकती है।

उक्त प्रभावों से पूर्व बचाव हेतु समयानुसार उचित कार्यवाही की जाने की स्थिति में प्राकृतिक विपदा का सामना किया जा सकता है। प्रभावी शीत लहर प्रबंधन हेतु स्वास्थ्य कर्मियों, जनसाधारण आदि को संबंधित विषय में जागरूक किया जाना आवश्यक है, ताकि शीत घात की आपदा के समय होने वाले रोगों से मानव स्वास्थ्य को होने वाली हानि पर यथासंभव रोकथाम एवं प्रभावी नियंत्रण किया जा सकता है। शीत घात से बचने के लिए अनावश्यक यात्रा नहीं करना चाहिए, छोटे बच्चों और बुजुर्गों का खास ध्यान रखा जाना चाहिए।

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