---Advertisement---

समीक्षा : शब्दो के परे, शब्द लोक यात्रा…एक दृष्टि

By
Last updated:
Follow Us

पंकज पटेरिया :

2011 में प्रकाशित मेरे गजल संग्रह “समुन्दर आंखों में” यह एक गजल है जो इसी शहर के वाशिंदे मुम्बई स्थित रेल उपप्रबन्धक भाषा और शब्दो के परे के प्रखर लेखक विपिन पवार की ताजा-ताजा आई इस किताब को पढकर सहज याद आ गई। इटारसी का मिजाज ए तर्ज, तेवर, ताप, तरन्नुम, जग, जाहिर है। लिहाजा इस किताब में वह धडकती है, बजती है ओर छोर रेलो की तरह दिग दिगंत नापती है।वजनदारी से अपना ताररूफ देती हैं। खरे पुख्तापन ओर रस्सी की बुनवट की मशक्त इस निबन्ध की किताब में बोलती है। सुधि पाठक का ध्यान बरबस खींचती है। पुस्तक मुझे भेंट करते विपिन जी ने लिखा है कि मेरे रोल माॅडल पंकज भाई साहब को। ओर यह भी घुंघराले बाल वाले इन के गीत मै कभी अपने पत्रों में कोट करता था। चलिए खुश हो लेता हूं उम्र की ढलान पर इस तमगे से। बहरहाल श्री पवार एक बेहद संवेदनशील, लेखक चिंतक है।

कहा गया है, beginning there was a word and the word was God. शब्द ब्रम्ह है, सत्यम शिवम सुंदर है। शब्द की महिमा हमारे पूर्वज ऋषियों मुनियों जानी है। मनुष्य का जन्म मरण होता है, शब्दों का जन्म होता है, लेकिन मरण नही होता है। शब्द अमर होते है। विपिन भाई ने शब्दों की आराधना करते हुए शब्द को सिद्ध कर लिया। अब शब्द उनके परमेश्वर है, जिनकी वे त्रिकाल उपासना करते है। कुल जमा ग्यारह निबन्ध की पुस्तक का शब्द लोक अद्भुत है, शब्द शब्द बोलते है, उनके शब्द हँसाते है, रुलाते है, दुलारते है, गले से लगाते है, हाथो में देते ओस नहाये ताजा महकते गुलाबो का बुके, जूड़े में बांध देते चमेली के फूलों की वेणी। विविध मनोहर रंग उनके निबधो में बिखरे है। ममता, त्याग करूणा, दया सेवा से भीगे है। भाव, भासा, शैली की पुण्य दायीं त्रिवेणी यहां सतत प्रवाहवान है, और हमे कुम्भ स्नान पुण्य देती है। बनाव सिंगार गजब है। भाषा बदले शब्द रूप जैसे नागपुर मराठी में नागपउर हो जाता हैं हिंदी का नीम मराठी में निम हो जाता है। इसी तरह हिंदी फिल्मों की जान निबन्ध में रोचक चर्चा है। यह प्रमाणित है हिंदी को सम्रद्ध बनाने में रेलो का बड़ा योगदान है। एक जंग केंसर के संग में साहसी नर्तिकी गार्गी की मार्मिक करून कथा है, जिसे पढते आंखे भीग जाती है। बेटी गार्गी ओर बहन मन्दाकिनी गोगरे को प्रणाम मन ही मन करने का मन होता है। इसी तरह सबकी आई पण्डिता रमा बाई जिनकी जीवनी महान लेखक श्री केशव सीता राम ठाखरे ने लिखी। उनके व्यक्तिव कृतित्व पर प्रकाश डाला। महान विभूति मातृ शक्ति का परिचय दिया गया। महान सेवा प्रतिमूर्ति मदर टेरेसा गाथा पड़कर श्रद्धा से सिर झुक जाता है। इसके साथ ही शुद्ध अशुद्ध शब्द का भेद रेखाकिंत कर विपिन जी ने राजभाषा अधिकारी के रूप में दायित्व का सराहनीय काम किया है। बेशक वे बधाई के अधिकारी हो जाते है।

Pankaj Pateriya e1601556273147

 

 

 

 

 

 

 

 

 

पंकज पटेरिया 
वरिष्ठ कवि, पत्रकार/ज्योतिष सलाहकार
सम्पादक: शब्दध्वज,
9893903003,
9407505691

For Feedback - info[@]narmadanchal.com
Join Our WhatsApp Channel
Advertisement
Nagarpalika Narmadapuram
Noble Computer Services, Computer Courses

Leave a Comment

error: Content is protected !!
Narmadanchal News
Privacy Overview

This website uses cookies so that we can provide you with the best user experience possible. Cookie information is stored in your browser and performs functions such as recognising you when you return to our website and helping our team to understand which sections of the website you find most interesting and useful.