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कहानी: टेबलेट

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सूमि- ऐसा क्या हुआ जो मुझे सब घूर रहे हैं ?
निशांत– क्या हुआ ? फोन लॉक क्यों है?
सूमि- सेफ्टी के कारण। आप भी तो लगाते हैं ना।
निशांत – मेरी बराबरी करोगी?
सूमि- बच्चे भी लगा के रखते हैं। तुम लोग अपने फोन तो यूज करते ही हो साथ में मेरे में भी हाथ साफ करते हो तो लगा दिया लॉक।

घर में अब जितने फोन उतने विवाद। घर के सदस्य भले साथ न हो लेकिन फोन फ्रेंड ऑनलाइन होना चाहिये लेकिन यह नियम औरतों पर लागू नहीं होता। वो यदि घर के काम, बच्चों के काम, सब्जी – भाजी सब निपटा कर भी फ़ोन उठा लेंगीं तो कोहराम मच जाता है ।

साल्सा- माँ यार बाल ही बना दो। कब से तेल भी नहीं डाला बालों में।
वैशू- माँ नहीं। अगर उसके सर की मालिश की तो मेरी भी करनी पड़ेगी।
सूमि- हां लाओ दोंनों की ही कर देती हूँ ।
साल्सा- माँ , यह देखो आपका मैसेज आया ।
वैशू- कौन बदतमीज है जो आपको हेलो जी लिख रहा है।
साल्सा- डैडी देखो ,कौन है यह ?
सूमि- अरे फेसबुक फ्रेंड है । गुड मॉर्निंग , गुड नाईट के मैसेज भेजते रहते हैं । या कभी – कभी हाल- चाल पूछ लेते हैं ।
निशांत – पागल हो तुम , अंजान लोगों से बात करती हो ।
सूमि- तो पहचान के लोगों को फुर्सत कहाँ है मेरे लिये ? तुम लोग भी तो तभी आ जाते हो जब मेरे हाथ में फोन आता है।
निशांत – जरूर दाल में काला है इसलिये फ़ोन का पासवर्ड चेंज किया था ना ।
सूमि- अब आप जो भी सोचें ।
वैशू- मम्मी कहीं आप भी तो ऑनलाइन … ?
साल्सा – नहीं , नहीं मम्मी कुछ गलत नहीं कर सकती ।
वैशू- हां मम्मी तो बस ऑनलाइन दोस्त बनाती हैं ।
… और सब के सब हँसने लगे । सूमि के भीतर अपराध बोध आ गया । यह सच है कि जब सब व्यस्त हो गए अपनी डिजिटल दुनिया में तो उसकी कुछ पुरानी सहेलियां फ़ेस बुक के जरिये वापस मिल गई और वो उनसे बतियाने लगी।

रात में अचानक सूमि की आंख खुली तो देखा निशांत उसका फोन चेक कर रहा है।

सूमि- क्या हुआ जी?
निशांत- कुछ नहीं , यह अंजान नंबर किसके हैं ?
सूमि- कोई अंजान नहीं मेरे स्कूल के फ्रेंड्स हैं ।
निशांत- यह हाय डियर कौन लिख रहा है मैसेंजर पर ।
सूमि- लिख रहा है तो मैं जबाव दे रही हूँ क्या ?
निशांत- ब्लॉक तो कर सकती हैं।
सूमि- कर दूंगीं मैं । आपको जरूरत नहीं ।

सूमि परेशान हो गई। मोबाइल से ज्यादा तो उसे हर बात की सफाई देनी पड़ती । कभी सोचती इससे अच्छा तो सिर्फ काम करते रहो । अब की नहीं कहेगी कि उसको भी फोन चाहिये लेकिन क्या – क्या करे वो सबकी खुशी के लिये ।

निशांत- कहाँ गईँ थीं ? चाय के लिये इंतजार कर रहा था ।
सूमि- यहीं सामने । काम था ।
निशांत- पहले घर का काम देख लिया करो । बस कभी यहाँ कभी वहां मत चली जाया करो ।
सूमि- जी । चाय तो आप बना ही सकते हो ।
निशांत – चाय भी मैं बनाऊं तो तुम क्या करोगी ।

कुछ भी हो आदमी के गुरूर के आगे ही औरत की हार है । अच्छा है जो औरतों में गुरूर नहीं होता नहीं तो अनगिनत परिवार ढह जाएं ।

निशांत- बस जरा सा समय भी तेरे पास नहीं ना मेरे लिये।
सूमि- आप भी तो बिज़ी ही रहते हैं और बच्चों को भी तो मुझ से ही शिकायत क्यों ?
साल्सा- डैडी , मम्मी आजकल ऑनलाइन काम कर रही हैं । कुछ तो …. ।
निशांत- अब यह काम करने की क्या पड़ गई यार ?
सूमि- नया टेबलेट लेना है मोबाइल में अब जमता नहीं मुझे ।

… और मुस्कुरा दी सूमि । बाकी सब उसको आश्चर्यचकित होकर देख रहे थे ।

मीनाक्षी ” निर्मल स्नेह “
खपोली ( मुंबई )
महाराष्ट्र .

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