प्रदेश प्रवक्ता शिवराज चंद्रोल ने इटारसी नपाध्यक्ष पंकज चौरे को लिखा पत्र
नर्मदापुरम। इटारसी नगरपालिका द्वारा सूखा सरोवर का नामकरण का नाम सावरकर के नाम पर करने की प्रक्रिया ने राजनैतिक रूप ले लिया है, प्रदेश प्रवक्ता शिवराज चंद्रोल ने आज नपाध्यक्ष पंकज चौरे को पत्र लिखकर उक्त नामकरण नर्मदांचल के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और राजपूत समाज के गौरव दादा करणसिंह तोमर पर किये जाने की मांग की।
अपने पत्र में उन्होंने कहा कि विनायक दामोदर सावरकर जी का स्वतंत्रता के संग्राम में योगदान रहा है, जिसके विषय में अनेक भ्रांतियां हैं। स्वतंत्रता संग्राम में शुरुआती दिनों में सावरकर ने अपना योगदान दिया, इस बात को हमारी नेता पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने भी सराहा है, किंतु वहीं दूसरी ओर वीर सावरकर जी को लेकर इतिहास में जो बातें हैं उन्हें अनदेखा नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि इतिहास में ये उल्लेख है कि सावरकर जी ने अंग्रेजों से अनेकों बार माफी मांगी और अपने आप को रिहा करने के लिए निवेदन किया। उनका यह कदम क्रांतिकारी जन भावना के अनुरूप नहीं था, जिसके साथ ही सुभाष चंद्र बोस जी की आजाद हिंद फौज में युवाओं को भर्ती नहीं होने और अंग्रेजों की सेना में भर्ती के लिए युवाओं को प्रेरित करना और अंग्रेजों के लिए वफादार बने रहने की बात, किसी भी विषय में राष्ट्रभक्ति को परिभाषित नहीं करते।
इतिहास में इस बात का भी उल्लेख है की सावरकर की विचारधारा द्विराष्ट्र सिद्धांत को समर्थन करती थी और उनके विचारधारा के साथियों ने स्वतंत्रता के बाद पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना के साथ साझा सरकार भी बनाई। अंग्रेजों से पेंशन लेने की बात भी इतिहास में है। विनायक दामोदर सावरकर ने मराठी भाषा में ‘स्वातंत्र्यवीर सावरकर’ किताब में गाय को लेकर अपने विचार स्पष्ट किए थे। राष्ट्रीय स्मारक प्रकाश मुंबई ने ‘विज्ञाननिष्ठ निबंध’ के भाग 1 और भाग 2 में गाय को लेकर वीर सावरकर के विचार लिखे हैं।
इस किताब के अध्याय 1.5 का का उल्लेख करते हुए कहा कि गाए एक पशु है और ये पूजने योग्य नहीं वहीं गौमांस पर भी इनकी कोई आपत्ति नहीं है। गौमाता पर ऐसे विचार हमारे हिन्दू धर्म और हमारी जनभावना का भी अपमान है। इतिहास का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि बहुत सारे विषय हैं जो सावरकर को विवादित करते हैं। वही नर्मदापुरम सदैव से अविवादित जिला रहा है, और ऐसे विवादित व्यक्ति के लिए जिस का संपूर्ण जीवन और इतिहास पूर्ण रूप से राष्ट्रभक्ति से ओतप्रोत ना रहा हो, ऐसे व्यक्ति के नाम पर अगर किसी स्थान का नामकरण किया जाता है, तो वह आपकी पार्टी और आपके विचारधारा के लिए भले ही सही हो, लेकिन जन भावना के अनुरूप किंचित मात्र भी सही नहीं है। इस पत्र के माध्यम से उन्होंने कहा कि उक्त स्थल पर नर्मदांचल के लाड़ले स्वतंत्रता संग्राम सेनानी रहे दादा करण सिंह तोमर जी के नाम पर लोकार्पण किया जाए ।
नपा हठधर्मी करेगी तो कांग्रेस मैदान में उतरेगी
इटारसी नगर कांग्रेस अध्यक्ष पंकज राठौर ने कहा कि अगर नगर पालिका श्रीराम लीला मैदान या करणसिंह तोमर के नाम से नामकरण नही करके सावरकर के नाम से नामकरण करेगी तो कांग्रेस मैदान में उतरकर इसका विरोध करेगी।