जो ज्ञान मां से प्राप्त होता है, वह बड़े-बड़े मनीषी भी नहीं दे सकते

जो ज्ञान मां से प्राप्त होता है, वह बड़े-बड़े मनीषी भी नहीं दे सकते

नर्मदापुरम। शिवार्चन समिति (Shivarchan Samiti) के तत्वावधान में श्रावण मास में आयोजित महारूद्राभिषेक के अंतर्गत आचार्य सोमेश परसाई (Acharya Somesh Parsai) ने हनुमान चालीसा (Hanuman Chalisa) की व्याख्या करते हुए कहा कि जिसके जीवन में हनुमान जैसे गुरु आ जाये उनको राम जी की प्राप्ति सहज ही हो जाती है।

तुलसीदास जी (Tulsidas ji) ने हनुमान चालीसा के प्रारंभ में गुरु महिमा मंडित करते हुए गुरु की चरणरज का महत्व बताया है और अंत में भी कृपा करहु गुरुदेव की नाई से जीवन में गुरु के महत्व को प्रकाशित किया। तुलसीदास जी ने अपने जीवन में तप के प्रभाव से भगवान ने कई बार दर्शन किये किन्तु जब गुरुदेव हनुमान ( Gurudev Hanuman ji) जी का मार्गदर्शन मिला, तब ही तुलसीदास जी उनके आराध्य श्री राम जी को पहचान पाये। उन्होंने कहा सद्गुरु और संतों की तुलना तुलसीदास जी ने कपास से की है।

जिस प्रकार कपास का चरित्र धवल एवं स्वच्छ होता है और कठिन प्रक्रिया और तपस्या से गुजर कर वह व्यक्ति के छिद्रों को ढंकने वाला वस्त्र बनता है, वैसे ही सद्गुरु का जीवन भी समाज को अपने शिष्यों को बेदाग, निष्कलंक और अवगुणों से रहित रखने के लिए प्रेरित करते हैं। आचार्य श्री ने कहा कि संसार में पहली गुरु मां होती है। वह पिता के साथ-साथ संसार से भी परिचय कराती है। जो ज्ञान मां देती है, वह संसार के बड़े-बड़े मनीषी भी नहीं दे सकते।

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AUTHORRohit

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