भजनोपदेशकों ने जीवन में भलाई करने पर दिया जोर

Post by: Rohit Nage

महर्षि दयानंद गुरुकुल आश्रम में तीन दिवसीय वार्षिकोत्सव
इटारसी।
महर्षि दयानंद गुरुकुल आश्रम तिलक सिंदूर रोड जमानी में चल रहे वार्षिक उत्सव के तहत सामवेद पारायण महायज्ञ के दूसरे दिन आज अजमेर के मुनिश्री सत्यजीत ने ईश्वर को मानने और जानने के विषय पर अपने उद्गार व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि ईश्वर महत्वपूर्ण तत्व है।

समस्त वैदिक संगठन, विभिन्न धार्मिक संगठन, विचारधाराएं ईश्वर तत्व को सर्वोपरि मानते हैं। उन्होंने कहा कि ईश्वर को न सिर्फ मानना, बल्कि जानना भी बेहद जरूरी है। वैदिक धर्म को मानने वाले ईश्वर को जानकर फिर मानते हैं। जितना अच्छा हम ईश्वर को जानेंगे, इतने अच्छे मानेंगे भी। हम जो भी करें ईश्वर की आज्ञा मानकर करते हैं, यही भाव ईश्वर को मानना होता है।
भजनोपदेशक पं.भूपेन्द्र और लेखराज शर्मा परोपकारिणी सभा अजमेर ने भला शब्द पर अपने भजन सुनाये।

उन्होंने कहा कि भला का उल्टा लाभ होता है। यानी जीवन में आप यदि भला करते हैं तो आपको किसी न किसी रूप में लाभ अवश्य होता है। भला करने वाला हमेशा याद रखा जाता है जैसे मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम और योगीराज श्री कृष्ण को हम आज भी याद रखते हैं, उनकी अच्छाईयों को ग्रहण करें और अपना जीवन सार्थक बनायें। उन्होंने ‘कल ले भला, होगा भला, अंत भला है, बस यही संसार में जीने की कला है’ भजन सुनाकर भलाई का संदेश भी दिया।

इस अवसर पर आर्य समाज के अनेक अनुयायी, विद्ववान वक्ता, आचार्य सत्यप्रिय आर्य, ग्राम जमानी से हेमंत दुबे, आर्य कन्या शाला से बालकृष्ण मालवीय, परिवर्तन संस्था के अखिल दुबे, जुगलकिशोर शर्मा सहित इटारसी, नागपुर, जमानी सहित आसपास के अंचलों से लोग मौजूद रहे।

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