इटारसी। मनुष्य तीव्र भक्ति ध्यान साधना और उपासना से सूक्ष्म वासना का विनाश कर सकता है, लेकिन यह तभी संभव है जब वह परमात्मा की सच्ची भक्ति करें। उक्त उद्गार पं. भगवती प्रसाद तिवारी (Pt. Bhagwati Prasad Tiwari) ने ग्राम सोनतलाई (Sontalai) में व्यक्त किए।ग्राम सोनतलाई में जन कल्याण के लिए आयोजित श्रीमद् भागवत कथा समारोह के प्रथम दिवस मां कात्यानी देवी मंदिर (Katyani Devi Temple) प्रांगण में मुख्य यजवान अशोक कुमार यादव (Ashok Kumar Yadav), संयोजक राजीव दीवान (Rajiv Dewan) के साथ ही बृजेश यादव (Brijesh Yadav), दुर्गेश यादव (Durgesh Yadav) एवं हृदेश यादव (Hridesh Yadav), दिलीप यादव (Dilip Yadav) आदि ने समस्त ग्राम वासियों की ओर से खेड़ापति माता की पूजा अर्चना की। यहां से भव्य कलश यात्रा प्रारंभ हुई जो गांव के प्रमुख मार्गों का भ्रमण करते हुए कथा स्थल पहुंचकर संपन्न हुई। यहां यजवानों ने भागवत पुराण की स्थापना व्यास गादी पर विधि विधान से की। व्यास गादी से प्रथम दिवस में कथा को विस्तार देते हुए प्रसिद्ध प्रवचन कर्ता पंडित भगवती प्रसाद तिवारी ने श्रीमद् भागवत के महत्व पर प्रकाश डालते हुए उपस्थित श्रोताओं को आत्मदेव गोकर्ण प्रसंग एवं धुंधकारी उद्धार कथा को आध्यात्मिक रूप से श्रवण कराते हुए कहा कि संसार में सर्वप्रथम मनुष्य को यह जानना जरूरी है कि उसके जीवन में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण काम क्या है?
वेदशास्त्र और उपनिषदों में ईश्वर प्राप्ति को ही सर्वोपरि बताया गया है। लेकिन ईश्वर प्राप्ति तभी होती है जब हम वासना रहित भक्ति ध्यान और साधना करें, भक्ति साधना से ज्ञान प्राप्त होता है सच्चे संत व सद्गुरु से। अत: जीवन में सच्चे संत व सद्गुरु भी आवश्यक है। इस प्रकार प्रथम दिवस में ही संत भक्त श्री तिवारी ने अनेक ज्ञान पूर्ण प्रसंगों से श्रोताओं को अवगत कराया, ग्राम सोनतलाई में पंडित भगवती प्रसाद तिवारी के श्री मुख से यह ज्ञान रूपी गंगा प्रतिदिन दोपहर 1 से शाम 4 बजे तक प्रवाहित होगी।
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सच्ची भक्ति ही मुक्ति का साधन : तिवारी


Rohit Nage
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