ग्रामीणों को त्याग के बदले मिली चिलचिलाती धूप, डर और धूल

Post by: Rohit Nage

रीतेश राठौर, केसला। क्षेत्र के विकास के लिए केसला ब्लाक (Kesla block) के कई ग्रामों ने बड़ा त्याग किया है। अपने आशियानों का बड़ा हिस्सा दिया, दुकानें तोड़ीं लेकिन इसके एवज में मिलने वाली सुविधा का कई लोगों को लाभ तो नहीं मिला, अलबत्ता धूप, धूल से होने वाली बीमारियां और अज्ञात डर का साया उनके हिस्से आया है।सोचा था, फोरलेन (Fourlane) के बाद न सिर्फ क्षेत्र के विकास को गति मिलेगी, बल्कि ग्रामीणों का भी भला हो जाएगा। लेकिन फोरलेन निर्माण की कछुआ चाल उनके सपनों को पंख नहीं लगने दे रही है।
केसला और हाईवे (Highway) से सटे गांव के लोगों को लगने लगा है कि उनकी जिंदगी से खिलवाड़ किया जा रहा है। आए दिन एक्सीडेंट (Accident) हो रहे हैं, गांव के लोगों को को धूल, मिट्टी के हवाले कर दिया।

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ग्रामीणों को कोरोना वायरस (Corona virus) से ज्यादा डर धूप और धूप का सताने लगा है। सुबह उठने से लेकर रात को सोने तक धूल फांकना पड़ रहा है। खाने में, पानी में, नहाने के पानी में, दुकानों में बिकने वाली चीजों में धूल से परेशानी ग्रामीण अब धैर्य खोने लगे हैं। लोग बीमार हो रहे हैं, इंफेक्शन (Infection) हो रहा है, सदी, एलर्जी (Allergy), खांसी हो रही है। रोड निर्माण के लिए पेड़ों को काटकर, हरे-भरे गांव को धूल धूसरित कर दिया। हालात ये हैं कि सूर्य की तपन से बच्चे, बूढ़े, जवान सब बैचेन हैं।
गांव वालों का कहना है कि 10-12 साल पहले से बताया गया था कि आपके गांव से चौड़ी सड़क वाला फोरलेन बनेगा, जिससे विकास होगा, गांवों की तस्वीर बदल जाएगी, आपकी तकदीर बन जाएगी, आप की दुकान, जमीन, मकान का सर्वे किया जाएगा। जो क्षति होगी उसका मुआवजा दिया जाएगा। साहब सर्वे तो हुआ, लोगों ने अपनी दुकान, जमीन, मकान का जितना-जितना नुकसान हो रहा था। वह लिखवाया ग्रामवासियों के मन में, दिमाग में यह बात भी चल रही थी कि हमारे क्षेत्र के जो गांव अंदर थे उन्हें विस्थापन किया, जिसमें प्रति व्यक्ति, 18 साल के ऊपर, 10-15 लाख रुपए दिए। रेलवे जब अधिग्रहण करता है तो मुआवजा और साथ में घर के एक व्यक्ति को सरकारी नौकरी देता है। यहां आदिवासी अंचल ग्राम पंचायत केसला के क्षेत्र के लोग जो दिहाड़ी मजदूरी करने के लिए आज भी सुबह उठकर बाहर जाते हैं, दो वक्त की रोटी, परिवार पालने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, जो कि इस क्षेत्र में एक भी प्लांट, फैक्ट्री नहीं है। कोई भी रोजगार का साधन नहीं है। पहले से गरीबी में गीला आटा चल रहा था। वही दो लौटा पानी और डाल दिया?

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ग्रामीणों को आश्वासन दिया कि आपको मुआवजा अच्छा मिलेगा। लोगों ने सपने भी देख डाले, सपनों का आशियाना बना डाला, अपनी पीढ़ी के लिये भविष्य भी देख लिया? उसके बाद ग्रामीणों के मन में, घरों में, मोहल्ले, गांव में इतनी खुशी कि मानो हर दिन दीपावली की तरह गांव जगमगाएगा। सपने तो तब टूटे जब व्यक्तियों को उनकी दुकान, जमीन, मकान का पैसा दिया? जैसे मानो ऊंट के मुंह में जीरा।
शासन-प्रशासन, विधायक, सांसद से लेकर सरकार तक को ग्रामीणों ने याद किया। अवगत कराया कि हमें मुआवजा बहुत कम दिया गया। उसमें भी टीडीएस के नाम पर पैसा काट लिया गया। किसी के 10 प्रतिशत, किसी का 20 प्रतिशत बिना दिए ही अधिग्रहण करने लगे। इस बात को लेकर भी गांव विवाद में रहा। ग्रामीणों ने आवाज उठाई। जिसमें 20 प्रतिशत वालों को पैसा दिया। उसमें भी 10 प्रतिशत वालों का पैसा रुका हुआ है।
कारण आधार कार्ड अपडेट नहीं, पेन कार्ड की आईडी में नाम नहीं मैच कर रहा है। उसका भी आश्वासन दिया है कि आपको दिया जाएगा। गांव में एक परिवार ऐसा है जिसे मुआवजे का एक रुपए भी नहीं मिला है, जिसका मकान अभी छोड़ दिया। वह भी सोच में है कि पैसा देकर क्या तुरंत तोड़ दिया जाएगा? लेकिन शासन प्रशासन के आगे गांव वालों को घुटने टेकने पड़े। जाएं तो जाएं, किसके पास, इस बात को लेकर?
सबकी रक्षा करने वाले, संकट मोचन, प्राचीन हनुमान मंदिर गांव की आस्था का केंद्र बिंदु, जिनके दर्शन मात्र से संकट कट जाते हैं। इसी गांव की धरोहर जो एनएचआई द्वारा मंदिर निर्माण किया जा रहा है, उसमें भी घोर अनियमितता है। इसी बात को लेकर मंदिर समिति के लोगों ने एसडीएम को ज्ञापन दिया। उसके बाद आश्वासन मिला था। एनएचआई द्वारा मंदिर निर्माण में हो रही त्रुटियों को दूर करने के लिए मंदिर समिति के साथ मिलकर काम किया जाएगा किया। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। ग्रामीण कहते हैं कि लोग एक्सीडेंट में मर रहे हैं। जल्दी से जल्दी सड़क निर्माण पूरा नहीं किया तो हमारी पीढ़ी का भविष्य खतरे में, हम धूल मिट्टी से मर जाएंगे। इससे मानसिक तनाव बना रहता है।
ग्रामीणों की अपेक्षा है कि एनएच वाले फोर लाइन सड़क निर्माण का कार्य निरंतर चालू रखें, उसकी गति को बढ़ाया जाए, जिससे जनजीवन की पटली लाइन पर आए। जो लोगों के आए दिन एक्सीडेंट हो रहे हैं धूल मिट्टी से लोग बीमार हो रहे हैं मानसिक तनाव बना हुआ है उस से मुक्त हो जाए।

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