खरीफ के लिए नहरों से छोड़ा पानी, ज्यादा जरूरत बिजली की

Rohit Nage

इटारसी। तेज धूप में झुलसती फसलों को ताजगी देने आखिरकार प्रशासन ने नहरों के माध्यम से पानी देने का निर्णय लेकर आज दोपहर से तवा बांध (Tawa Dam) की बायीं तट नहर (Left Bank Canal) में पानी छोड़ ही दिया। आज दोपहर 12 बजे के बाद जल संसाधन विभाग (Water Resources Department) ने एलबीएमसी में 700 क्यूसेक (Cusec) पानी छोड़ा है, इससे खरीफ की फसल को बचाने में मदद मिलेगी।

उल्लेखनीय है कि पिछले एक पखवाड़े से भी अधिक समय से तेज धूप के कारण खेतों में न सिर्फ फसलें झुलस रहीं हैं, बल्कि खेतों में दरारें भी पडऩे लगी थीं। तेज गर्मी के कारण बिजली उत्पादन प्रभावित होने से लोड शेडिंग भी प्रारंभ हो गयी जिससे बिजली की अघोषित कटौती के कारण खेती को मिलने वाली बिजली भी नहीं पहुंचने से किसान नलकूप के माध्यम से भी सिंचाई नहीं कर पा रहे थे। किसानों द्वारा लगातार आंदोलन, घेराव, चक्काजाम, ज्ञापन आदि के माध्यम से बिजली की मांग की जाती रही है। बीती रात भी भीलाखेड़ी (Bhilakhedi) के किसानों ने चक्काजाम कर दिया था।

दो दिन पूर्व जमानी (Jamani) में किसानों ने बिजली सब स्टेशन के सामने चक्काजाम किया था और लिखित आश्वासन लेकर ही रास्ता चालू होने दिया था। किसानों ने इटारसी (Itarsi) स्थित डिवीजनल आफिस का घेराव भी किया और अधिकारियों को व्यवस्था में सुधार के लिए दो दिन का समय देकर चेतावनी भी दी थी। जल संसाधन विभाग द्वारा नहर में पानी छोडऩे से किसानों को राहत मिलेगी और झुलसती फसल को नया जीवन मिलेगा। हालांकि किसानों का मानना है कि लगातार धूप और पानी नहीं मिलने से उत्पादन तो प्रभावित हो ही जाएगा, लेकिन पानी मिलने से फसल को पूरी तरह से बर्बाद होने से बचाया जा सकता है। नहरों में पानी छोडऩे जाने से किसानों ने फैसले का स्वागत किया और उम्मीद जतायी है कि फसलों को काफी हद तक बचाया जा सकता है। हालांकि जिन किसानों के खेत नहरों से दूर हैं और वे नलकूप पर निर्भर हैं, उनको तो बिजली की आज भी जरूरत है।

बिजली जरूरी, पानी नहीं

यदि किसानों को बिजली मिल जाए तो पानी का इंतजाम तो उनके पास है। वर्तमान में किसानों को बिजली की जरूरत है, नहर से पानी मिलने पर अपेक्षित फायदा नहीं मिलेगा। इससे कुछ किसानों की ही जरूरतें पूरी होंगी, यदि बिजली पर्याप्त मिल जाए तो ही किसानों को फायदा होगा। किसान नेता विजय बाबू चौधरी (Vijay Babu Chaudhary) का कहना है कि बांध से पानी देने से जलस्तर कम होगा तो रबी फसल को पानी देने में दिक्कत हो जाएगी। करीब 3 लाख हेक्टेयर में से 1.65 लाख हेक्टेयर में धान की फसल वे ही किसान ले रहे हैं, जिनके पास नलकूप से पानी की व्यवस्था है। अब ऐसे में उनको नहर के पानी की नहीं बल्कि बिजली की जरूरत है। यदि किसानों को पर्याप्त बिजली मिले तो बांध का पानी रबी की फसल के लिए बचाया जाना चाहिए अन्यथा किसान की रबी की फसल प्रभावित होगी।

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