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क्या और कैसे होता है फ्लोर टेस्ट, पूरी प्रकिया समझें

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विधानसभा में सभी लोगों की मौजूदगी में अपना बहुमत साबित करने की प्रक्रिया को फ्लोर टेस्ट कहा जाता है। वहीं सभी विधायक प्लोर टेस्ट प्रक्रिया में  स्पीकर के सामने अपना वोट करते है। यदि  किसी राज्य में एक से अधिक पार्टियां सरकार बनने के लिए कहती है, लेकिन उन पार्टियों को बहुमत प्राप्त न होने की वजह से किसी एक पार्टी को फ्लोर टेस्ट में राज्यपाल के द्वारा बहुमत साबित करने के लिए कहा जा सकता है कि, किसे बहुमत प्राप्त है।

क्या होता है फ्लोर टेस्ट (What is Floor Test)

फ्लोर टेस्ट को हिंदी में विश्वासमत कहते हैं। फ्लोर टेस्ट से यह फैसला लिया जाता हैं कि वर्तमान सरकार या मुख्यमंत्री (केंद्र में प्रधानमंत्री) के पास पर्याप्त बहुमत हैं या नहीं। चुने हुए विधायक अपने मत से सरकार का फैसला करते हैं। अगर मामला राज्य का हैं तो फ्लोर टेस्ट विधानसभा में होगा यदि मामला  केंद्र का है तो लोकसभा में होगा। फ्लोर टेस्ट सदन में चलने वाली एक पारदर्शी प्रक्रिया हैं और इसमें राज्यपाल का किसी भी तरह से कोई हस्तक्षेप नहीं होता फ्लोर टेस्ट में विधायकों या सासंदों को सदन में व्यक्तिगत रूप से पेश होना होता हैं और सबके सामने अपना वोट देना होता हैं।

फ्लोर टेस्ट कैसे होता है

फ्लोर टेस्ट में ही सभी विधायक मौखिक, ईवीएम या बैलेट पेपर के माध्यम से अपना मतदान करते हैं। यदि बहुमत साबित नहीं कर पाते हैं तो इसका मतलब होता है कि, सदन को सरकार पर विश्वास नहीं। इसलिए बहुमत प्राप्त न होने पर  मुख्यमंत्रीके साथ-साथ पूरी कैबिनेट को इस्तीफा देना पड़ता है।

कभी कभी सरकारें अपने पास विधायकों की कमी को देखते हुए विश्वास मत से पहले ही इस्तीफा दे देती है। जब किसी पार्टी को स्पष्ट बहुमत प्राप्त हो जाता है, तो राज्यपाल उस पार्टी के नेता को सीएम पद की शपथ दिलाते हैं।

कौन कराता है फ्लोर टेस्ट

फ्लोर टेस्ट में राज्यपाल किसी भी तरह से हस्तक्षेप नहीं कर सकते हैं। राज्यपाल सिर्फ आदेश दे सकते हैं कि फ्लोर टेस्ट किया जाना हैं। इसके कराने की पूरी जिम्मेदारी सांसद के पास होती हैं।

फ्लोर टेस्ट में कौन भाग लेता है

फ्लोर टेस्ट में विधानसभा सदस्य अपने अनुसार वोट कर सकते है यदि उनका वोट करने का मन नहीं है, तो उनके साथ जबदस्ती नहीं की जा सकती है। यदि वोट डालने का आंकड़ा बराबर पहुंच जाता है तो  इसमें विधानसभा अध्यक्ष भी मतदान कर सकते हैं।

फ्लोर टेस्ट को प्रमुख रूप से तीन प्रकार से ध्वनिमत, संख्याबल और हस्ताक्षर के माध्यम से भी साबित किया जा सकता है।

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