बीती शाम एक सड़क दुर्घटना में एक नाबालिग (17 वर्षीय) युवती की मौत हो गयी। युवती अपने दोस्तों के साथ श्रीरामजी बाबा मेला से नर्मदापुरम से इटारसी लौट रही थी। ये तीन बाइक पर आठ लोग थे। बड़ा सवाल यह है कि आखिर इन बच्चों के माता-पिता ने इनको लड़कों के साथ कैसे भेज दिया? या इन लड़कियों ने अपने माता-पिता को लड़कों के साथ जाने की जानकारी नहीं दी थी।
युवावस्था, एक ऐसा उम्र का दौर होता है, जब होश कम जोश ज्यादा होता है। आज की युवा पीढ़ी अपनी उर्जा का इस्तेमाल सही दिशा में न करके बेकार के दिखावों में कर रही है, खासकर सड़कों पर स्टंटबाजी, रेस, खतरनाक वाहन चलाना आदि करके ये स्वयं को तीसमारखां बताने से गुरेज नहीं करते हैं। बीती शाम को करीब 7:30 बजे ब्यावरा में सुंदरम ढाबे के पास हुई घटना भी इसी की परिणिति है। तीनों बाइक सवार एकदूसरे से आगे जाने की होड़ में थे, कि लड़की बाइक से नीचे गिरी और गंभीर चोट आने से उसकी मौत हो गयी। सड़कों पर युवाओं की मस्ती कोई नयी बात नहीं है, लेकिन इनके इस जरा से मजे में एक जान चली गई, एक घर की हंसती खेलती बच्ची अब परिवार से हमेशा के लिए बिछुड़ गयी। मस्ती में ये युवा पीढ़ी होश खो देती है, परिणाम की परवाह किये बिना, हमेशा ओवर कॉन्फिडेंस में जीती है।
सवाल यहां परिवार के सदस्यों से भी है। आखिर क्यों लड़कियों को ऐसे बाइक पर जाने देते? क्यों इनके साथ परिवार का कोई सदस्य नहीं होता है? बच्चों को स्वतंत्रता देने का कोई विरोध नहीं, लेकिन उनकी स्वच्छंदता पर नजरें रखकर उनको गलत करने का विरोध करना, अच्छे-बुरे का ज्ञान कराना तो आखिरकार परिवार का ही काम है न? क्यों परिवार ने जानने का प्रयास नहीं किया कि आखिर तीन बाइक पर 8 लोग कैसे जा रहे हैं? क्या यह कानून का उल्लंघन नहीं है? क्या, यह जान को जोखिम में डालने जैसा नहीं है? अब केवल सवाल ही रह गये हैं, एक हंसती-खेलती बच्ची दुनिया से चली गयी। आगे, इस तरह के हादसे न हों, इसके लिए परिवारों को सोचना होगा, क्योंकि ट्रैफिक पुलिस के भरोसे अपने बच्चों को नहीं छोड़ा जा सकता, वे अपनी ड्यूटी निभा रहे हैं, आप कब अपनी ड्यूटी निभाओगे?
कैसी ड्यूटी निभा रहे माता पिता…तीन बाइक पर आठ? … एक की मौत

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