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आर्थिक सुधार के बाद से निजी घरानों ने ही बैंकों को लूटा है

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समाजवादी जन परिषद के नेता ने लगाए आरोप
इटारसी। समाजवादी जन परिषद ने कहा है, नीरव मोदी कांड के बहाने सार्वजनिक बैंकों के पुन: निजीकरण से देश की अर्थव्यवस्था पर पूरी तरह पूंजीपतियों का कब्ज़ा हो जाएगा, और गरीबों के मदद के लिए जो रही-सही योजाएं हैं, वो भी बंद हो जाएगी। समाजवादी जन परिषद के नेता अनुराग मोदी ने कहा कि सार्वजिनक बैंकों के निजीकरण के पूर्ण तरह खिलाफ़ है, इससे सारी अर्थव्यवस्था निजी हाथों में चली जाएगी और भारत भी अमेरिका की ही तरह चंद निजी कारपोरेशन के चंगुल में चला जाएगा। सजप का मानना है, 1969 में जब तत्कालीन प्रधामंत्री इंदिरा गांधी ने बैंकों के राष्ट्रीयकरण का फैसला लिया, हो सकता है, तब वो उनकी राजनैतिक मजबूरी का नतीजा हो, लेकिन यह देश की अर्थव्यवस्था को चंद लोगों के कब्जे में जाने से बचाने की दिशा में सबसे बड़ा फैसला था। उस समय कहा गया था, चूंकि बैंकों में जमा 70 फीसदी राशि जनता की है, इसलिए इसके वितरण पर नियंत्रण निजी हाथों में नहीं सार्वजानिक क्षेत्र में होना चाहिए। इन सार्वजनिक बैंकों में आज भी बैंकिंग व्यवस्था की 70 फीसदी पूंजी है। जो जनता की है, और बैंको के निजीकरण से इस पूंजी का प्रबंधन एक बार फिर उन्हीं पूंजीपतियों के हाथों में चला जाएगा, जिन्होंने उन्हें फ्रॉड और एनपीए के जरिए बर्बाद किया है।

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