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इमाम हुसैन की याद में निकाला मातमी जुलूस

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इटारसी। मोहर्रम के त्योहार पर ईरानी समुदाय ने इमाम हुसैन की याद में मातमी जुलूस निकाला। जयस्तंभ चौक पर समाज के युवाओं ने हुसैन की जयकार के साथ खुद को लहूलुहान कर लिया।
इस्लाम के सबसे बड़े पीर पैगम्बर हजरत मोहम्मद साहब के नवासे इमाम हुसन और इमाम हुसैन ने धर्म की खातिर अपनी जान कुर्बान कर दी थी। उनकी शहादत को इस्लाम को मानने वाले अकीदत से मुहर्रम के तौर पर मनाते हैं। ईरानी समुदाय के लोग इसे शहादत के तौर पर मनाते हैं। इसी के तहत मंगलवार को भी ईरानी समुदाय ने इमाम हुसैन की याद में मातमी जुलूस निकाला जो ईरानी डेरा पत्ती बाजार से शुरु होकर जयस्तंभ चौक पर पहुंचा। यहां ईरानी युवाओं ने या हुसैन के नारों के साथ छाती पीट-पीटकर खुद को लहूलुहान कर लिया। जुलूस में ईरानी समाज की महिलाएं भी बड़ी संख्या में शामिल हुईं जिन्होंने अपने कंधे पर ताबूत रखा हुआ था। एक ईरानी महिला ने इसके महत्व को लेकर बताया कि यह इमाम हुसैन को याद करने का हमारा मजहबी तरीका है। सुन्नी समुदाय के आम मुसलमानों ने भी देर शाम यहां ताजिये निकाले। ताजियों को गांधी मैदान में एकत्र करने की व्यवस्था नगर पालिका ने की थी।

कीचड़भरे मैदान में व्यवस्था
गांधी मैदान में बारिश के कारण बड़ी मात्रा में कीचड़ है। मुस्लिम समाज के कुछ लोगों की पसंद सब्जी मंडी के खाली पड़े चबूतरे थे। जहां ऊपर डोम होने के कारण बारिश होने पर भी ताजिये और रातभर जुटने वाले दर्शनार्थी सुरक्षित रहते। बावजूद इसके नगर पालिका ने गांधी मैदान स्टेडियम के कीचड़ भरे मैदान में ताजियों की व्यवस्था की। नगर पालिका ने मैदान के एक तरफ रेत डालकर कीचड़ से मुक्ति का असफल प्रयास किया जबकि पूरे मैदान पर रातभर दर्शनार्थियों की मौजूदगी रहती है। जब सवारी आती है तो पूरे मैदान में बड़ी संख्या में लोग यहां से वहां होते हैं। लेकिन, नगर पालिका के कर्ताधर्ताओं ने मुस्लिम समाज के जिम्मेदारों से कोई चर्चा किये बिना कुछ लोगों के कहने पर ही यह सारी व्यवस्था कर दी, जबकि शहर में और भी विकल्प थे। सब्जी मंडी के चबूतरों के अलावा जयस्तंभ से आरएमएस चौराह भी बेहतर विकल्प हो सकता था। रात 9 बजे बाजार बंद होने के बाद यहां ताजियों को लाया जा सकता था और सारी रात जलसा भी चलता तो कोई परेशानी नहीं होती। सुबह बाजार 10 बजे के बाद खुलता है, तब तक ताजिये करबला प्रस्थान कर जाते। सीएमओ का कहना है कि गांधी मैदान में पानी तो भरा है। लेकिन मुस्लिम समाज के एक प्रतिनिधि ने ही गांधी मैदान में व्यवस्था करने को कहा था।

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