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उड़ती धूल दे रही बीमारियों को न्यौता, न छांव का इंतज़ाम है ना दम लेने को ठिकाना

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करोड़ों कमाते, फिर भी हालात देखने तक नहीं आते
ट्रांसपोर्टर्स- 150
हम्माल- 300
प्रति रैक आय- 50 लाख
मासिक आय- 5 करोड़ रुपए
इटारसी। जेठ (ज्येष्ठ) की तपती दुपहरी हो, सावन की रिमझिम या फिर पूस की हाड़ कंपा देने वाली ठंड। हर हाल में जी तोड़ मेहनत करना है। रेलवे करोड़ों रुपए कमा रहा है, मालगोदाम से, लेकिन सुविधा देने के नाम पर न कोई अफसर का दिल पसीज़ता है और ना ही यहां देखने आने की जेहमत उठाई जाती है। यह कहें कि प्रधानमंत्री के स्वच्छ भारत अभियान की यदि कहीं धज्जियां उड़ाई जा रही हैं तो वह है इटारसी रेलवे स्टेशन का मालगोदाम। यहां पिछले दो दशक से शिफ्टिंग का बहाना लेकर कोई सुविधा नहीं दी जा रही है।
it9042017पश्चिम मध्य रेलवे के सबसे बड़ा मालगोदाम रेलवे को हर माह की करोड़ों की आय देने के बावजूद उपेक्षा का दंश झेल रहा है। रेलवे की अनदेखी और लापरवाही का खामियाजा यहां काम करने वाले व्यापारी, ट्रांसपोर्टर, हम्माल भोग रहे हैं। कई बार यहां की समस्याओं को लेकर ट्रांसपोर्टर्स ज्ञापन दे चुके हैं लेकिन वाणिज्य विभाग के अधिकारियों ने कभी इस पर गौर नहीं फरमाया। एक हम्माल की पिछले दिनों ओएचई लाइन की चपेट में आ जाने के बाद फिर से यहां व्यवस्थाओं संबंधी मुद्दा गरमाया था।
क्या हैं दिक्कतें
जंक्शन पाइंट होने की वजह से पूरे देश भर में माल परिवहन एवं ब्रेक ट्रांसपोर्ट के लिए यहीं माल उतारा चढ़ाया जाता है। यहां से देश भर में सीमेंट, यूरिया, सोयाबीन, धान, गेहूं, डीओसी, खाद समेत अन्य निजी कंपनियों के उत्पाद की डिलेवरी होती है। एक रैक से रेलवे को करीब 50 लाख रुपए की आय होती है, और माह में औसतन 10-12 रैक लग जाते हैं। यहां करीब 150 ट्रांसपोर्टर और 300 हम्माल काम करते हैं। इतना दबाव और आमदनी होने के बावजूद यहां बेहतर तो दूर, मूलभूत सुविधाओं का अभाव बना हुआ है। ट्रक ऑनर एसोसिएशन के अध्यक्ष अजय मिश्रा बताते हैं कि लगातार धूल में काम करने की वजह से कई मजदूरों को अस्थमा की शिकायत हो गई है। शाम होते ही अंधेरा छा जाता है। कई बार ट्रक, टायर, बैटरी, अनाज की बोरियां, यूरिया चोरी हो चुका है।
यह मिले थे आश्वासन
रेल हमसफर सप्ताह के दौरान रेल अधिकारियों ने मालगोदाम में व्यापारियों के साथ बैठक की थी जिसमें व्यापारियों ने अधिकारियों को समस्याएं बताई, जिसे दूर किए जाने का आश्वासनमिला था। रेलवे मालगोदाम की बैठक में व्यापारी और उनके प्रतिनिधि शामिल हुए थे। अधिकारियों ने माल गोदाम सर्कुलेटिंग एरिया में डामरीकरण, शेड की रिपेयरिंग और लाइट व्यवस्था बनाए जाने की बात कही। परेशानियों को देखते हुए तीन नंबर लाइन पर 100 वर्गफीट का शेड निर्माण किए जाने पर जोर दिया। लेकिन, आज यहां सुविधाओं के नाम पर महज शेड की मरम्मत की जा रही है, वह भी आफिस चलते हुए। ऐसे में कर्मचारियों को हमेशा कुछ न कुछ दुर्घटना होने की आशंका बनी रहती है।
देखने नहीं आते अधिकारी
रेलवे को करोड़ों रुपयों का मुनाफा देने वाले मालगोदाम की सुध अधिकारियों को नहीं है। दर्जनों बार हम ज्ञापन दे चुके हैं। हम्माल, व्यापारियों और ट्रांसपोर्टर्स के लिए किसी तरह की सुविधाएं नहीं हैं। मुझे 30 साल हो गए, किसी वरिष्ठ अधिकारी को यहां का दौरा करते नहीं देखा। कई बार हमारे ट्रक और पाट्र्स चोरी हो चुके हैं।
अजय मिश्रा, अध्यक्ष ट्रक ऑनर एसोसिएशन
धूल की समस्या है
मालगोदाम परिसर में धूल की समस्या तो है, उच्च स्तर पर हालात से अवगत कराते रहते हैं, कुछ काम प्रारंभ हुए हैं। वर्तमान में शेड की मरम्मत का काम चल रहा है। आगे उच्च अधिकारियों के स्तर का काम है, वहीं से होना है जो भी हो।
राजेन्द्र रैकवार, मुख्य माल पर्यवेक्षक

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