कैंसिल हो सकता है श्री विजयलक्ष्मी आईटीआई का रजिस्ट्रेशन

Post by: Manju Thakur

तकनीकि विशेषज्ञों ने की जांच
इटारसी। गणतंत्र दिवस पर भाजपा के खिलाफ शपथ दिलाने वाली संस्था श्री विजयलक्ष्मी आईटीआई की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। आज ही इस संस्था पर दो बार मुश्किलें आयीं। सुबह जहां एनएसयूआई के सदस्यों ने आईटीआई के सामने जाकर प्रदर्शन किया, तो दोपहर में इटारसी, होशंगाबाद और बुदनी आईटीआई के तकनीकि विशेषज्ञों की टीम ने यहां की गड़बडिय़ों की जांच की। जांच दल का कहना है कि लंबे समय से यहां गड़बड़ी की शिकायत मिल रही थी, प्रिंसिपल सेक्रेटरी के आदेश से जांच की जा रही है।
उल्लेखनीय है कि आईटीआई के प्राचार्य केके तिवारी ने भाजपा के खिलाफ शपथ की घटना को एनएसयूआई की बदमाशी बतायी तो एनएसयूआई के छात्र नेताओं ने आईटीआई के सामने प्रदर्शन कर नारेबाजी की। वे प्राचार्य केके तिवारी ने मिलना चाह रहे थे, लेकिन आज प्राचार्य पहुंचे ही नहीं।
इधर अखबारों में प्रकाशित खबरों पर संज्ञान लेते हुए तकनीकि शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव से आए आदेश के बाद इटारसी, होशंगाबाद और बुदनी आईटीआई के तकनीकि विशेषज्ञों की टीम यहां जांच करने पहुंची। टीम के सदस्यों को यहां काफी गड़बड़ी मिली हैं। टीम के सदस्य होशंगाबाद आईटीआई के प्राचार्य सुनील कुमार बडिय़े ने कहा कि यहां 70 फीसदी गड़बड़ी है। टीम ने कुछ दस्तावेज जब्त किए हैं, रिपोर्ट उच्च स्तर पर भेजी जाएगी। टीम की जांच के दौरान रुख और यहां के टीओ से सवालों के जवाब नहीं मिलने, बच्चों से पूछताछ के किसी सवाल के जवाब नहीं मिलने के बाद जो सदस्यों की टिप्पणी थी, उससे तो लगता है कि संस्था का रजिस्ट्रेशन ही कैंसिल हो सकता है।

ये किया जांच के दौरान
औद्योगिक प्रशिक्षण संस्था होशंगाबाद के प्राचार्य एसके बडि़ए, इटारसी आईटीआई के प्राचार्य ओमप्रकाश सैनी और बुदनी आईटीआई के प्राचार्य सतीश मौर्य के साथ करीब आधा दर्जन ट्रेनिंग आफिसर्स की टीम ने दोपहर में श्री विजयलक्ष्मी आईटीआई पहुंचकर यहां की अनियमितताओं की जांच प्रारंभ की। टीम को संस्था में मौजूद एक भी मशीन चालू नहीं मिली। जांच के दौरान मौजूद विजयलक्ष्मी आईटीआई की टीओ से टीम ने तकनीकि सवाल किए, मोटरें चालू करायीं, मशीनों के स्विच ऑन कराए, लेकिन कोई भी मशीन चालू नहीं थीं, मौके पर सारी कंडम मशीनें मिलीं। टीओ से जब इस बावत सवाल किए जो वे केवल सिर नीचे करके खड़ी रहीं। जांच के दौरान न तो संस्था के संचालक तरुण कुमार बेरा और मृदुला बेरा मिले और ना ही प्राचार्य कृष्ण किशोर तिवारी। संस्था के कागजात देखे और उनमें कुछ भी नहीं मिलने पर फाइलें जब्त करके अपने साथ ले गए। जांच के दौरान जांच अधिकारी बार-बार यही कहते रहे कि ऐसी संस्था का तो रजिस्टे्रशन रद्द कर देना चाहिए, ये लोग बच्चों का भविष्य बनाने की जगह उनका भविष्य बर्बाद करने पर तुले हुए हैं।

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