– पति-पति ने बनाया अपना ही जैविक जगत
– संस्कृति मंत्रालय की किताब में मिला स्थान
इटारसी। ग्राम ढाबाखुर्द के किसान प्रतीक शर्मा आज जैविक खेती में जाना-पहचाना नाम है। जब गांव की मिट्टी ने बुलाया तो प्रतीक बैंक की अच्छे-खासे पैकेज वाली नौकरी छोड़कर चल पड़े, अपने गांव, अपनी मिट्टी में। ढाबाखुर्द में जन्मे प्रतीक शर्मा ने एमबीए करने के बाद कोटक महिन्द्रा बैंक में 11 वर्ष नौकरी की। वे रीजनल मैनेजर थे, उनकी पत्नी भी उनके साथ बैंकर्स थीं। दोनों ने नौकरी छोड़ी और जैविक का संसार बसाने का सपना लिये आ गये अपने प्रदेश में। प्रतीक आज उन लोगों के लिए एक प्रेरणास्रोत बन गए हैं, जो मानते हैं की खेती में कुछ नहीं रखा है। ये न सिर्फ जैविक खेती कर रहे हैं बल्कि किसानों को भी प्रेरित कर रहे हैं।
प्रतीक और प्रतीक्षा शर्मा के बीच बेहतर समन्वय है। प्रतीक खेती संभालते हैं और उनकी पत्नी प्रतीक्षा भोपाल में मार्केटिंग की सारी जिम्मेदारी उठाती हैं। प्रतीक की जैविक के प्रति गहरी समझ और रुचि के लिए उनके कार्य को संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार की किताब ‘द विजन आफ अंत्योदयाÓ में शामिल किया है। 12 फरवरी को देश के उपराष्ट्रपति वैंकैया नायडू के निवास पर इस किताब का विमोचन हुआ था जिसमें उन सारी प्रतिभाओं को आमंत्रित किया था, जिनको इस पुस्तक में जगह दी गई थी। यह होशंगाबाद जिले के जैविक जगत के लिए गौरव की बात है कि प्रतीक की प्रतिभा को सारा हिन्दुस्तान पढ़ेगा।
नुकसान ने कर दिया विचलित
सन् 2015 में प्रतीक शर्मा ने बैंक की नौकरी छोड़ी। उनकी पत्नी प्रतीक्षा शर्मा ने उनको हर कदम पर साथ दिया। वे भी उनके साथ हो लीं। आकर प्रतीक ने सबसे पहले उसी जगह को खेती के लिए चुना, जहां उनका जन्म हुआ था। यानी अपने गांव ढाबाखुर्द को। सबसे पहले उन्होंने भी पॉली हाउस में रसायनिक खेती की। जब उनको लगा कि इसमें लागत तो अधिक है ही, इसके हानिकारक प्रभाव बहुत अधिक हैं, तो मन विचलित हो गया। लगा कि वे अप्रत्यक्ष तौर पर मानव जीवन के लिए जहर परोस रहे हैं। उन्होंने फैसला कर लिया कि विकल्प की ओर जाएंगे। उनको जैविक से बेहतर कोई विकल्प नहीं दिखा। उपभोक्ताओं को कीमतें बेहतर मिलें, इसके लिए उन्होंने अपने उत्पाद को मंडी में नहीं ले जाकर सीधे उपभोक्ताओं तक पहुंचाने का निर्णय लिया।
भोपाल में कलेक्शन सेंटर बनाया
प्रतीक शर्मा ग्राम ढाबाखुर्द में साढ़े पांच एकड़ में जैविक खेती करते हैं, उनके खेत पर अनेक प्रकार की सब्जियां उगाते हैं। इन दिनों भोपाल और इटारसी के जैविक कृषि उत्पाद बाजार में वे जैविक सब्जियां और अन्य उत्पाद उपलब्ध करा रहे हैं। भोपाल में उनका कलेक्शन सेंटर है, जिसे उनकी पत्नी प्रतीक्षा शर्मा संभालती हैं। यहां से हर उस जगह जैविक उत्पाद भेजा जाता है, जहां से मांग आती है। प्रतीक स्वयं ही पोषण और कीट नियंत्रण के उपाय करते हैं, ताकि फसल बेहतर हो सके। उनका कहना है कि जैविक खेती से न सिर्फ मिट्टी जीवित होती है, बल्कि बेहतर और स्वाद वाली फसल तैयार होती है। जैविक उत्पादों में रसायनिक खाद, कीटनाशक आदि का प्रयोग नहीं होने से यह जहर रहित होते हैं और स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह नहीं बल्कि फायदेमंद होती है।
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खबर विशेष : बैंक की नौकरी छोड़ शुरु की जैविक खेती


Rohit Nage
Rohit Nage has 30 years' experience in the field of journalism. He has vast experience of writing articles, news story, sports news, political news.
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