इटारसी। आगजनी की घटना से बर्बाद हुई ग्राम पांजराकलॉ की भूमि के साथ ही क्षेत्र के करीब पचास फीसदी खेतों में इन दिनों मूंग की हरी फसल लहलहा रही है। इसके लिए कृषकों ने बीस दिन पहले नरवाई में आग लगायी थी।
इटारसी-बाबई बायपास पर यह है ग्राम पांजराकलॉ की वह भूमि जहां 25 दिन पूर्व नरवाई की आग ने ऐसा तांडव मचाया था कि सैंकड़ों एकड़ में खड़ी गेहूं की फसल जलाकर राख कर दिया था और उस जलती फसल को बचाने में पांच युवा आग की भेंट चढ़ गये थे। अनेक ग्रामवासी व चलते राहगीर भी तांडव करती आग की चपेट में आ गये थे। सड़क किनारे व खेतों की मेढ़ पर लगे हरेभरे वृक्ष भी सूख गए थे। आग के बाद इस बाबई बायपास मार्ग के चारों ओर की सैंकड़ों एकड़ जमीन ही काली-काली नजर आती थी। लेकिन वक्त जल्दी बदला और आज यहां पर हर तरफ हरियाली नजर आ रही है। चूंकि आगजनी की घटना के दो चार दिन बाद ही किसानों ने मूंग की बोवनी शुरु कर दी थी, सिर्फ ग्राम पांजराकलॉ ही नहीं बल्कि जिले की पचास फीसदी भूमि पर मूंग की फसल लहलहा रही है। इससे साफ है कि खेतों की नरवाई में लगने वाली आग, अपने आप नहीं बल्कि जानबूझकर लगायी जाती है। बहरहाल, जो भी हो, खेतों में लगी इस दलहनी फसल एवं उसकी हो रही जल सिंचाई से जो ठंडक बनी है, वह भरी दोपहरी में भी यहां के आवागमन करने वाले राहगीरों को भीषण गर्मी से राहत प्रदान करती है।
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जहां नरवाई की आग से खेत काले थे, अब लहलहा रही मूंग
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