इटारसी। साल के पहले दिन भी रैसलपुर उपमंडी में हम्मालों ने काम नहीं किया और समर्थन मूल्य पर धान की खरीद नहीं हो सकी थी। नाफेड के मैनेजर के दो दिन में पैसा मिलने के आश्वासन पर काम प्रारंभ हुआ और पांच दिन बाद पुन: सोमवार को पैसा नहीं आने पर हम्माल मंडी नहीं पहुंचे। सोमवार को समर्थन मूल्य पर खरीद नहीं हो सकी। इस मामले में सेवा सहकारी समिति जमानी का कहना है कि हम्माल आएंगे तो ही खरीद हो सकेगी। नाफेड के अधिकारी मंगलवार तक पैसा मिलने का आश्वासन दे रहे हैं। इधर हम्मालों के ठेकेदार राकेश यादव का कहना है कि दो दिन में पैसा मिलने के आश्वासन पर काम प्रारंभ किया था, पांच दिन बीत गये हैं। अब तो पैसा मिलने के बाद ही हम्माल काम पर लौटेंगे।
गौरतलब है कि रैसलपुर कृषि उप मंडी में सरकार ने समर्थन मूल्य पर इटारसी तहसील के लिए धान खरीदी केन्द्र बनाया है। बुधवार को यहां हम्मालों के काम पर नहीं आने से सरकारी धान की खरीद बंद हुई थी और अब पुन: इसी कारण से खरीद नहीं हो सकी है। किसान धान लेकर आए और यहीं रात गुजार रहे हैं।
हम्मालों ने रोक दिया काम
रैसलपुर कृषि उपमंडी में धान की समर्थन मूल्य पर खरीद एजेंसी नाफेड है जो सेवा सहकारी समिति जमानी के माध्यम से धान की खरीद करा रही है। सेवा सहकारी समिति के प्रबंधक भूपेन्द्र दुबे का कहना है कि न तो किसानों के खाते में पैसा आ रहा है और ना ही हम्मालों और लोडिंग के काम में लगे लोगों के खातों में पैसा आया है। ऐसे में हम्मालों ने ही काम रोक दिया है। नेफेड के मैनेजर अभिषेक सिंह ने मंगलवार तक भुगतान का आश्वासन दिया है।
ठंड में किसान हैं परेशान
इटारसी तहसील के इस धान उपार्जन केन्द्र में आने वाले किसान परेशान हंै। यहां पैसा नहीं मिलने से हम्माल काम बंद कर देते हैं और किसान यहां अपना माल लाकर ठगा सा महसूस करता है। समर्थन मूल्य पर अपनी उपज लेकर दूर-दूर गांव से किसान आ रहे हैं। समर्थन मूल्य पर धान की बिक्री करने तहसील के करीब 786 किसानों ने करीब 75 हजार क्विंटल के लिए पंजीयन कराया है। आज हम्माल मंडी नहीं पहुंचे तो न तो खरीद हुई और ना ही तुलाई हुई। बताया जाता है कि हम्मालों का करीब 4 लाख रुपए बकाया है, ऐसे में आर्थिक रूप से परेशान होकर उन्होंने काम बंद कर दिया है।
एक नज़र…!
– अब तक कुल धान की खरीदी हुई लगभग 22 हजार 262 क्विंटल
– धान बेचने वाले किसानों का भुगतान बाकी लगभग 4 करोड़ रुपए
– मंडी में खरीद में सहयोग कर रहे हम्मालों का बाकी 4 लाख रुपए
इनका कहना है…!
देखिये जिले में अन्य मंडियों में भी खरीद हो रही है। केवल रैसलपुर के हम्माल ही ऐसा कर रहे हैं, जबकि मैं आश्वस्त कर चुका हूं कि पैसा मिलेगा। दरअसल एक प्रक्रिया होती है। अभी अकाउंट एक्टिवेट करने की प्रक्रिया जारी है, पैसा आ चुका है। काम बंद करने से तो किसानों को नुकसान होगा। मेरा प्रयास है कि मंगलवार को भुगतान हो जाए।
अभिषेक सिंह, मैनेजर नाफेड