बाबा के लिए जगह नहीं दे रहे सरपंच, एसडीएम को शिकायत
इटारसी। ग्राम जमानी में आदिवासी समाज के आराध्य ध्वजाधारी बाबा के चबूतरे तक जाने के लिए सरपंच रास्ता नहीं दे रहे हैं, जबकि विवाह आदि कार्य के पूर्व बाबा की पूजा-अर्चना बहुत जरूरी होती है। यह आरोप ग्राम जमानी के कुछ लोगों ने लगाते हुए मंगलवार को एसडीएम हरेन्द्र नारायण के कार्यालय में शिकायत पत्र दिया है। इस मामले में सरपंच का कहना है कि बाबा के चबूतरे तक जाने के लिए उसने अपने पट्टी की जमीन से रास्ता दिया है, बावजूद इसके वे क्यों शिकायतें कर रहे हैं, वे ही जानें।
एसडीएम को दिये ज्ञापन में ग्राम जमानी के कुछ आदिवासियों ने कहा है कि आदिवासी समुदाय के ध्वजाधारी बाबा का स्थान मंजूर अहमद के वार्ड में है। इनकी पूजा के बिना हमारे समुदाय के मांगलिक कार्य नहीं होते हैं। वर्तमान सरपंच माखनलाल इवने ने अतिक्रमण करके निकलने की जगह पर दुकान का निर्माण कर लिया है। हमने 8 फुट का रास्ता मांगा तो नहीं दे रहा है। शिकायतकर्ताओं का कहना है कि पंचायत ने माखनलाल को जो पट्टा दिया था, वह निरस्त कर दिया गया है, फिर भी इस जगह पर निर्माण कर सरपंच पद का दुरुपयोग किया जा रहा है। शिकायतकर्ताओं की बात सुनने के बाद एसडीओ राजस्व हरेन्द्र नारायण ने पटवारी को निर्देश दिये हैं कि वह मौके पर जाकर स्थिति देखें।
कई जगह कर चुके हैं शिकायत
इस मामले में सरपंच माखनलाल इवने का कहना है कि ये लोग जनपद पंचायत, सीएम हेल्प लाइन, जिला पंचायत और तहसील कार्यालय में भी शिकायत कर चुके हैं। तहसीलदार ने इनको और हमें भी बुलाया था। तहसीलदार ने भी कहा था कि यदि पट्टा निरस्त हुआ है तो वह आवेदन दें, जांच कर ली जाएगी। इसी तरह से पंचायत सचिव से भी पूछा था कि पट्टा निरस्ती का कोई आदेश है, तो उन्होंने भी मना कर दिया। लेकिन, वे निरस्त पट्टे के संबंध में कागज ही पेश नहीं कर पा रहे हैं। इधर थानेदार को भी शिकायत की थी तो वे भी आयी थीं। उन्होंने स्वयं जगह की नपायी करायी और शिकायत गलत पायी है। हमें 1998 में 30 गुणा 30 का पट्टा पंचायत ने आवंटित किया था। हम उस पर ही निर्माण कर रहे हैं और बाबा के चबूतरे तक जाने के लिए हमने अपनी भूमि से रास्ता भी दिया है। लेकिन, वह संतुष्ट नहीं हैं तथा और अधिक भूमि की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि उसे मेरे पास 900 वर्गफुट का पट्टा है, जिसमें से वे करीब 800 वर्गफुट में ही बना रहे हैं, शेष रास्ते के लिए छोड़ा है।
पंचायत में नहीं है रिकार्ड
इस मामले में एक खास पहलू यह भी है कि 1998 में पट्टा आवंटन होना बताया जा रहा है। लेकिन, बीस वर्ष पुरानी इस प्रक्रिया का भी पंचायत के पास कोई रिकार्ड नहीं है। यानी पंचायत में न तो पट्टा आवंटन का कोई रिकार्ड है, और ना ही पट्टा निरस्त होने का। वर्तमान पंचायत सचिव यहां करीब पांच वर्ष से पदस्थ हैं। उनका कहना है कि यह विवाद करीब दो वर्ष से चल रहा है और उन्होंने पट्टा निरस्ती करण के विषय में उनके पूर्ववर्ती सचिव से भी जानकारी मांगी थी तो उनके पास कोई रिकार्ड नहीं था। पूर्व सचिव ने भी कहा है कि उन्होंने पट्टा निरस्तीकरण जैसी कोई प्रक्रिया की ही नहीं है। ग्राम पंचायत के पूर्व और वर्तमान दोनों सचिवों का कहना है कि करीब बीस वर्ष पुरानी बात है, और उनके पास न तो पट्टा आवंटन को कोई रिकार्ड है और ना ही निरस्त होने का।
इनका कहना है…
हम लगातार शिकायतें कर रहे हैं। सरपंच हमारे ध्वजाधारी बाबा के चबूतरे तक जाने के लिए रास्ता नहीं दे रहा है और निरस्त पट्टे की जमीन पर निर्माण कर रहा है। हमारे सारे मांगलिक कार्य बाबा की पूजा के बाद ही संपन्न होते हैं। हमने आज यहां एसडीएम को आकर शिकायत की है।
सुखराम कुमरे, शिकायतकर्ता
मेरे पास लीगल पट्टा है। उनके पास पट्टा निरस्ती के कोई भी वैध कागज नहीं हैं। सब जगह शिकायत कर चुका है, जांच हो चुकी है। लेकिन, फिर भी लगातार शिकायत करते चले जा रहे हैं। जहां तक रास्ता छोडऩे की बात है तो हम रास्ते के लिए अपनी भूमि से रास्ता दे चुके हैं।
माखनलाल इवने, सरपंच
मैं यहां पिछले पांच वर्ष से पदस्थ हूं। मेरे सामने तो पट्टा निरस्त होने जैसा कोई रिकार्ड नहीं आया है। पिछले सचिव से भी इस विषय में जानकारी मांगी थी तो उन्होंने भी बताया कि उनके कार्यकाल में भी पट्टा निरस्त नहीं किया है। बात काफी पुरानी है और हमारे पास तो पट्टा आवंटन का भी रिकार्ड नहीं है।
ज्योति चिमानिया, सचिव
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पट्टा निरस्त, फिर भी सरपंच कर रहे हैं निर्माण
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