होशंगाबाद। ईशान परिसर में श्रीमद्भागवत कथा के तृतीय दिवस में कथा वाचक आचार्य पुष्कर परसाई ने सती चरित्र की व्याख्या करते हुए कहा कि हमारा धर्म तो सबका सम्मान करना सिखाता है। रामचरित्र मानस का उदाहरण देते हुए कहा कि वनवास जाते समय कौशल्या माता ने रामजी से कह दिया कि बेटा यदि पिता ने वन गमन का आदेश दिया हो तो मेरा आदेश है, कि वन मत जाना क्योंकि मां का महत्व पिता से ज्यादा है किन्तु यदि माता कैकेय ने आदेश दिया हो, तो अवश्य ही वन जाना क्योंकि उनका अधिकार तुम पर मुझसे भी ज्यादा है। भागवत आचार्य ने कहा कि भगवान राम से बड़ा कोई शिव भक्त नहीं अत: सबको एक मान कर सबका सम्मान करते हुए एक को इष्ट आराध्य बना कर पूजा करनी चाहिए। प्रह्लाद चरित्र की व्याख्या करते हुए आचार्य श्री ने कहा कि जो बुद्धि के परे है, उस परमात्मा का बुद्धि से बखान नहीं किया जा सकता। धु्रव जी के चरित्र का विस्तार करते हुए कहा कि गुरु माता पिता आपका मार्गदर्शन कर सकते हैं किन्तु चलना स्वयं को ही पड़ता है। पाप की उत्पत्ति लोभ से ही होती है।