मंडी परिसर फुल, बुधवार से नहीं होगी धान खरीद

Post by: Manju Thakur

समर्थन मूल्य पर खरीदी धान के उठाव के लिए नहीं हुए अब तक टेंडर
इटारसी। धान उत्पादक किसानों के सामने फिर संकट आ गया है। इटारसी तहसील के लिए धान की समर्थन मूल्य पर खरीदी कर रही सेवा सहकारी समिति जमानी ने आज से धान की खरीदी बंद कर दी है। दरअसल, समिति को खरीदी के लिए जो वारदान मिल रहे हैं, वे अत्यंत घटिया किस्म के कटे-फटे हैं और अब वे भी खत्म हो गये। इसके अलावा परिवहन के लिए अब तक कोई ठेका नहीं होने से समिति के पास खरीदी गई धान रखने की जगह नहीं होने की परेशानी आ गयी है। अब धान की खरीदी का कार्य भी नयी एजेंसी नेफेड को दिया है। समिति प्रतिनिधियों का भी कहना है कि नयी व्यवस्था है, समझने और सुधार के लिए कुछ वक्त चाहिए।
कृषि उपज मंडी इटारसी की उपमंडी रैसलपुर परिसर में सेवा सहकारी समिति जमानी ने आज मंगलवार को धान की खरीदी नहीं की और कल से पूरी तरह से खरीदी बंद कर दी जाएगी। इस दौरान आज जो ट्रालियां परिसर में आ गयी हैं, उनकी तुलाई होगी, नयी ट्रालियां परिसर में नहीं ली जाएंगी। समिति प्रबंधक का कहना है कि खरीदी के लिए जो वारदान उपलब्ध कराये जा रहे हैं, वे काफी घटिया किस्म के हैं और काफी कटे-फटे हैं। इससे काफी परेशानी हो रही है।

50 फीसद से अधिक खराब
सेवा सहकारी समिति को समर्थन मूल्य पर धान खरीदी के लिए पहली खेप में दस हजार वारदान मिले थे। इनके बंडल खोले गये तो बड़ी संख्या में कटे-फटे वारदान निकले। इसकी छंटाई में ही ठेकेदार और हम्मालों को पसीना आ गया। बताया जाता है कि दस हजार वारदान में से पांच हजार से अधिक खराब निकले। जो शेष बचे वारदान में खरीदी के बाद धान रखी गयी और जब हम्माल इनको पीठ पर लादकर थप्पियां लगा रहे हैं, उसमें ही ये वारदान फटने लगे हैं। यानी कटे-फटे निकालने के बाद जो बचे वे भी इतने कमजोर हैं कि धान भरकर उठाने में फट रहे हैं।

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महज 16 सौ क्विंटल हुई खरीद
सेवा सहकारी समिति जमानी ने कृषि उपज मंडी इटारसी की उपमंडी रैसलपुर में समर्थन मूल्य पर धान की खरीदी 3 दिसंबर से प्रारंभ की थी। वारदान मिले थे, दस हजार। लेकिन, जब गठानें खोली गईं तो उनमें से लगातार कटे-फटे वारदान निकल रहे थे। हालात यह है कि अब तक 1654 क्विंटल की खरीद हुई है। आज की खरीद केबाद यह करीब दो हजार क्विंटल हो जाएगी। यानी दस हजार वारदान में आधे से अधिक तो खराब निकले और जो बचे उनमें महज 1654 क्विंटल ही खरीद हो पायी और वारदान भी खत्म हो गये हैं, अब समिति ने और वारदान की मांग की है।

परिवहन का नहीं हुआ ठेका
अभी मंडी परिसर में जो धान की खरीदी की गई है, उसके परिवहन का पता नहीं है। बताया जाता है कि अब तक इसके टेंडर ही नहीं हुए हैं। इन हालात में और खरीद करने की स्थिति नहीं है। रैसलपुर मंडी परिसर में जो शेड बने हैं, वे अब तक की खरीद के बाद फुल हो गये हैं। जब तक खरीदी गया अनाज उठाया नहीं जाएगा, नयी खरीद नहीं की जा सकती। यही कारण है कि समिति ने अब खरीद नहीं करने का निर्णय लेकर उच्च स्तर पर इसकी जानकारी भी भेज दी है। समिति प्रबंधक भूपेन्द्र दुबे बताते हैं कि वारदान खत्म होने और परिसर में भरने की जानकारी डीआर को दे दी है।

किसान और समिति भी परेशान
सेवा सहकारी समिति इसलिए परेशान है, क्योंकि मंडी परिसर खरीदे गये धान के बोरों से भरा है, जगह नहीं होने से और खरीदी नहीं की जा सकती। इसके अलावा किसान इसलिए परेशान हैं कि उनकी धान तो बिक गयी। लेकिन, अब तक किसी का भुगतान नहीं हुआ है। किसान भुगतान के लिए चक्कर काट रहा है, समिति भुगतान करने की स्थिति में नहीं है, क्योंकि खरीद की एजेंसी अब नाफेड को बना दिया है और भुगतान उनको ही करना है। परिवहन के लिए अब तक टेंडर नहीं हुए हैं। जब मंडी परिसर से खरीदे गये धान का परिवहन नहीं होगा तो नयी खरीदी करना मुश्किल है।

इनका कहना है…!
आप सही कह रहे हैं, समितियों के पास इतने संसाधन नहीं होते हैं कि वह इन हालात में खरीद कर सके। अब नाफेड एजेंसी हो गयी है। 4 दिसंबर को पत्र आ गया है। रही बात ट्रांसपोर्टेशन की तो एक या दो दिन में यह मामला सुलझ जाएगा। फिलहाल इस विषय की प्रक्रिया चल रही है।
डॉ. प्रदीप गरेवाल, डीएमओ

हमें 4 दिसंबर को कहा गया है कि होशंगाबाद जिले में धान की खरीदी आपको करना है। ट्रांसपोर्ट संबंधी परेशानी तो है, क्योंकि परिवहन का काम सेंट्रल गवर्नमेंट की एसओआर पद्धति से करना है। इसके बिना ट्रांसपोर्टर को पैसा ही नहीं मिलेगा। अभी इस तरह की कुछ दिक्कतें आ रही हैं, लेकिन जल्द ही इसका निदान हो जाएगा। कुछ शुरुआत की परेशानी हैं, एक बार हम सब व्यवस्थित कर लेंगे तो फिर काफी तेजी से काम करेंगे।
सुरेश गौर, क्षेत्र प्रतिनिधि नेफेड

हम बुधवार से पूरी तरह से धान की खरीद बंद कर रहे हैं। खरीद बंद करने के दो कारण हैं, एक तो हमारे पास वारदान खत्म हो गये हैं, जो दिये जा रहे हैं वे घटिया किस्म के हैं जो उठाने-रखने में ही फट रहे हैं। दूसरा कारण है कि अब तक जो उपज खरीदी गई है, उसका परिवहन नहीं हो रहा है। ऐसे में हमारे पास और धान रखने के लिए स्थान की कमी है।
भूपेन्द्र दुबे, समिति प्रबंधक

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