इटारसी। आज की नारी पुरुषों से कहीं कम नहीं हैं। वे हर उस क्षेत्र में अपना दखल बढ़ा रही हैं, जहां कभी पुरुषों का ही वर्चस्व माना जाता रहा है। कभी सोचा भी नहीं होगा कि महिलाएं पुरुषों के एकाधिकार वाला यह काम भी करेंगी। हम बात कर रहे हैं, राजमिस्त्री की। जी, हां! अब महिलाएं राजमिस्त्री का काम भी करेंगी। उनको इसके लिए पथरोटा में बाकायदा प्रशिक्षण दिया जा रहा है। वे प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत 31 अन्य पुरुषों के साथ मकान बना रही हैं।
नेशनल हाईवे 69 पर, पथरोटा ग्राम पंचायत अंतर्गत प्रधानमंत्री आवास योजना के भवन बनाने का प्रशिक्षण चल रहा है। सात मास्टर ट्रेनर भोपाल से ट्रेनिंग लेकर आए हैं जो यहां 35 राजमिस्त्री को ट्रेनिंग दे रहे हैं। इन्हीं में चार महिला राजमिस्त्री भी हैं। ट्रेनिंग के दौरान ही इनमें गजब का आत्मविश्वास झलक रहा है। कभी राजमिस्त्री के इशारे पर सीमेंट, रेत को मिलाकर जुड़ाई का मसाला तैयार करने वाले हाथ आज कन्नी और गुनिया के साथ बड़ी सफाई से चल रहे हैं। जो आवास बन रहे हैं, वे सेंपल हैं, और काफी गुणवत्ता वाले हैं। 45 दिनों की इस ट्रेनिंग के बाद इन महिलाओं में इतना आत्मविश्वास आ जाएगा कि ये खुद भी अपने दम पर मकान बनाने का कार्य करने लगेंगी। प्रशिक्षण प्राप्त करने में इनकी निष्ठा देखकर लगता है कि ये आने वाले दिनों में पुरुषों के वर्चस्व वाले राजमिस्त्री के काम पर भी अपना सिक्का जमा ही लेंगी।
भोपाल से प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद मास्टर ट्रेनर बनकर आए कुबड़ाखेड़ी के अनिल मेहरा, कन्हैयालाल पथरोटा, सुरेन्द्र दामले छीतापुरा, सुनील बरखने छीतापुरा, संतोष मालवीय साधपुरा, महेश मस्कोले कालाआखर और संजीव मेहरा जामईकला यहां 35 राजमिस्त्रियों को प्रशिक्षण दे रहे हैं। जो राजमिस्त्री अपनी ट्रेनिंग पूरी करके आगे अपने इस कार्य को बढ़ाना चाहेंगे उनको शासन की योजनाओं के अंतर्गत बैंकों से ऋण उपलब्ध कराके टूल किट दिलाये जाएंगे। इसके लिए जनपद पंचायत केसला प्रकरण तैयार करके बैंकों को सौंपेगी।
- नारीशक्ति के बोल…
मजदूरी करते-करते एक साल हो गया है। हम भी अपनी आय बढ़ाना चाहते हैं ताकि अपने परिवार का पालन-पोषण और बेहतर तरीके से हो सके। इस प्रशिक्षण से हमारा आत्मविश्वास बढ़ा है जो हमें आगे इस काम में सहयोग करेगा।
भारती टिकारया, प्रशिक्षणार्थी
हमें नया सीखने को मिल रहा है। पहले मिस्त्री के पास मजदूरी करते थे, अब हम स्वयं मिस्त्री बन जाएंगे। अपने हुनर को आगे बढ़ाएंगे और इस काम को सीखने के बाद पहले हम अपना पक्का घर बनाएंगे, जो अभी कच्चा है।
क्षमा पटेल, प्रशिक्षणार्थी
पहले कभी सोचा नहीं था कि मिस्त्री का काम भी हम करेंगे। पिछले सात साल से हम मजदूरी करके ही अपना परिवार चला रहे हैं। अब हम खुद मिस्त्री बन जाएंगे तो आमदनी भी बढ़ जाएगी और घर की स्थिति सुधर जाएगी।
उर्मिला, प्रशिक्षणार्थी
पिछले चार-पांच माह से ही हम इस क्षेत्र में आए हैं। पारिवारिक जरूरतों के चलते मजदूरी करनी पड़ रही थी। लेकिन, अब ट्रेनिंग से हमारा आत्मविश्वास भी जगा है। अब लगने लगा है कि हम भी अपने परिवार के लिए कुछ कर सकेंगे।
भागवती बेलिया, प्रशिक्षणार्थी