इटारसी। जनजातीय विज्ञान उत्सव के अंतर्गत राजेश पाराशर ने बच्चों को मकर सक्रांति का खगोल विज्ञान समझाया। श्री पाराशर ने बताया कि यह पर्व पृथ्वी की सूर्य के चारों ओर परिक्रमा पर आधारित है। यह हर 365 दिन बाद आमतौर पर 14 या 15 जनवरी को मनाया जाता है। जबकि बाकी त्यौहार चंद्र कैलेंडर पर आधारित होने के कारण उनको मनाये जाने की दिनांक समय हर साल बदल जाती है। उन्होंने बताया कि सूर्य के चारों ओर पृथ्वी परिक्रमा करती है। पृथ्वी के चारों ओर स्थित आकाश को 12 तारामंडल में बांटा है। पृथ्वी के लगातार आगे बढ़ते रहने से हर माह की 14 या 15 तारीख को पृथ्वी से सूर्य के पीछे दिखने वाला तारामंडल बदल जाता है। इसे संक्राति कहते हैं। 14 जनवरी के आसपास सूर्य के पीछे दिखने वाला तारामंडल धनु से बदलकर मकर तारामंडल दिखने लगता है। इसलिये इसे मकर सक्रांति कहते हंै। श्री पाराशर ने बताया कि मकर सकांति से दिन बड़े होने का तथ्य गलत है, क्योंकि दिन बड़े होने की घटना 21 दिसंबर को होने वाले विंटर सोलिस्टस से ही आरंभ हो जाती है। इसके अलावा सूर्य 21 दिसंबर से ही उत्तरायण हो जाता है। एनसीएसटीसी के जनजातीय विज्ञान उत्सव का आयोजन आदिवासी विकासखंड केसला के विज्ञान कक्ष में किया गया था।
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विद्यार्थियों को संक्रांति का साइंस समझाया
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