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सराहनीय : मूंग ने तोड़े उत्पादन ने सारे रिकार्ड, कमाई में गेहूं से आगे 

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होशंगाबाद जिला देश में मूंग उत्पादन में अव्वल
इटारसी। ग्रीष्मकालीन मूंग के उत्पादन में होशंगाबाद जिला रिकार्ड उत्पादन पर पहुंच गया है। इस दो माह की फसल ने कमाई के मामले में चार माह की फसल गेहूं को भी पीछे छोड़ दिया है। लॉक डाउन की अवधि में किसी इंडस्ट्रीज या किसी अन्य क्षेत्र में इतना नेट प्रॉफिट नहीं हुआ होगा, जितना मूंग में किसानों को हुआ है। मूंग की कटाई प्रारंभ हो गयी है और किसानों को लगभग 15 सौ करोड़ के मुनाफे की उम्मीद है।
ग्रीष्मकालीन मूंग केवल साठ दिन की फसल है और इसका टर्नओवर 2 हजार करोड़ रुपए है जबकि चार माह की और जिले की मुख्य फसल गेहूं का टर्नओवर इतना नहीं है। इस बार मूंग ने रिकार्ड उत्पादन किया है। पिछले वर्ष से लगभग दोगुना से अधिक। गत वर्ष नहरों से अपेक्षित पानी नहीं मिला और भूमिगत जल की भी कमी होने से मूंग की फसल लेने वाले किसानों को मायूसी हाथ लगी थी। इस वर्ष न सिर्फ नहरों से पानी मिला बल्कि अच्छी बारिश के कारण भूमिगत जल भी पर्याप्त मात्रा में मिला।

मूंग फसल पर एक नज़र
साठ दिनी की फसल ग्रीष्मकालीन मूंग होशंगाबाद जिले में 1,82000 हेक्टर एवं हरदा जिले में 78000 हेक्टर क्षेत्र में इस वर्ष बोयी गई है। इस प्रकार होशंगाबाद एवं हरदा जि़ले को मिलाकर 260000 हेक्टर में मूंग लगी है। होशंगाबाद एवं हरदा जि़ले में 15 क्विंटल प्रति हेक्टर की उत्पादकता के मान से लगभग 3.90 लाख मैट्रिक टन मूंग का उत्पादन संभावित है, जो 7050 समर्थन मूल्य के मान से लगभग 2700 करोड़ की कुल आय लगभग 60,000 किसानों को प्राप्त होगी। कृषि विभाग से प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में कुल ग्रीष्मक़ालीन मूंग का क्षेत्र 4.5 लाख हेक्टर में से 2.60 लाख हेक्टर ( लगभग 55 प्रतिशत) होशंगाबाद-हरदा जिले में ही है। इसके अलावा नरसिंहपुर, सीहोर, रायसेन, देवास, खंडवा, जबलपुर आदि जिलों में भी ग्रीष्मकालीन मूंग की खेती होती है। होशंगाबाद जिले को ग्रीष्मकालीन मूंग हेतु लगभग 27000 हेक्टर में एवं हरदा जिले हेतु लगभग 23000 हेक्टर में तवा नहर से सिंचाई हुई है।

कृषि मंत्री ने डेम से पानी दिलाया
मप्र के कृषि मंत्री और हरदा जिले के विधायक कमल पटेल ने सिंचाई विभाग के अधिकारियों से बातचीत करके तवा बांध से किसानों को मूंग फसल के लिए पानी उपलब्ध कराया है। जल संसाधन विभाग से श्री पटेल के प्रयास के बाद इस वर्ष समय पर नहरों में पानी छोडने की कार्रवाई की गई है। हरदा जिले में बोवनी पहले होती है, अत: कृषि मंत्री ने सबसे पहले नहरों से हरदा जिले के लिए पानी उपलब्ध कराया। जिस वक्त नहरों में पानी छोड़ा था, होशंगाबाद जिले में अधिकांश खेतों में गेहूं की कटाई चल रही थी। गेहूं कटाई के बाद किसानों को तत्काल पानी भी मिल गया, क्योंकि नहरों में पानी पहले से ही था। अत: उनको भी मूंग की बोवनी में परेशानी नहीं हुई। तवा बांध से मूंग फ़सल के लिये पानी छोड़े जाने से इस वर्ष मूंग फसल का क्षेत्र बढ़ सका और बंपर उत्पादन हो सका है। जिले में प्रदेश की कुल ग्रीष्मक़ालीन बोनी का लगभग 40 प्रतिशत बोनी हुई है जो प्रदेश की सर्वाधिक क्षेत्र है।

इनका कहना है…!
इस वर्ष 50 प्रशित से ज्यादा रकबे में मूंग फसल का उत्पादन अपने आप में मायने रखता है। मूंग का समर्थन मूल्य 7,050 रुपए प्रति क्विंटल सरकार ने निर्धारित किया है। लेकिन व्यापारी इसे समर्थन मूल्य पर या इससे अधिक पर खरीदते हैं तो भी किसानों को अच्छी रकम मिलेगी। मात्र 60 दिनों की ग्रीष्मकालीन मूंग की फसल से जिले के किसानों के आत्मनिर्भरता की और बढ़ते कदम से होशंगाबाद जिले को देश प्रदेश में शिखर पर पहुंचा दिया है।
जितेन्द्र सिंह, उपसंचालक कृषि

ये कहते हैं किसान
फसल पककर तैयार है। इस बार पानी की अच्छी व्यवस्था होने से फसल भी काफी अच्छी हो गयी है। दो से चार दिन में कटाई प्रारंभ हो जाएगी। पानी मिलने से रकबा भी बढ़ा है। 14-15 एकड़ में उत्पादन लिया है। इस वर्ष 8-10 क्विंटल औसत मिलने की उम्मीद है। खास यह है कि गेहूं की पराली जलाये बिना मूंग की फसल ली है। मक्के की पराली से भी हरी खाद तैयार करके फसल ली है।
साहब लाल मेहतो, पथरोटा

इस बार पानी की उपलब्धता के कारण मूंग की फसल जोरदार हो गयी है। 10-15 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की उम्मीद है। दो-चार दिन में फसल कटाई का काम प्रारंभ हो जाएगा।
अशोक पटेल, बनाड़ा

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