इटारसी। हाल ही में रेलवे बोर्ड पैसेंजर सर्विस कमिटी के चेयरमेन इटारसी स्टेशन का निरीक्षण करने आये थे। जब उनका ध्यान यहां की कभी हल न होने वाली अवैध वेंडरिंग और नियमों के विपरीत संचालित खानपान व्यवस्था की ओर दिलाया तो वे इसे लगभग टालने वाले अंदाज में मीडिया से ही बोल गये कि आपकी भी कुछ जिम्मेदारी बनती है। वे जब आये थे तो खानपान स्टाल्स पर जनता खाना भी था, जो आमतौर पर तभी दिखाई देता है, जब कोई अधिकारी आता है। रेलवे स्टेशन की खानपान लॉबी इतनी ताकतवर है कि ऐसे कितने ही चेयरमेन आये और चले गये, लेकिन इस समस्या का समाधान किसी के वश की बात नहीं रही।
रेलवे बोर्ड पैसेंजर कमिटी के चेयरमेन रमेश चंद्र रत्न आए तो सभी प्लेटफार्म से अवैध वेंडर और नियम विरुद्ध खानपान का संचालन बंद था। सब कुछ बेहतर दिखाने का प्रयास किया गया। उन्होंने बाहर से आने वाले यात्रियों से बात की, जिसमें आमतौर पर यात्री व्यवस्था को ठीक ही बताता है। मीडिया ने जब यात्रियों के बैठने के स्थान पर वेंडरों द्वारा सामान रखने और खुले में गुलाब जामुन बेचने संबंधी फोटो दिखाई तो उन्होंने एडीआरएम प्रशासन/सेवा अजीत रघुवंशी की ओर देखा और श्री रघुवंशी ने सीनियर डीसीएम अनुराग पटेरिया की ओर। पटेरिया बोले कि गुलाब जामुन बेच सकते हैं। लेकिन, जब खुले में बेच सकते, पूछा तो वे यहां-वहां देखने लगे। जाहिर है, यहां सबकुछ ठीक नहीं है, यह उच्च अधिकारी भी जानते हैं और जानकर अनदेखी करते हैं, यह उस दिन की विजिट में समझ में आ गया।
खानपान व्यवस्था ठीक नहीं है
इटारसी रेलवे स्टेशन की खानपान व्यवस्था गड़बड़ी के मामले में कुख्यात है। यहां खाना खाकर स्कूली बच्चे बीमार हो चुके हैं तो कई यात्रियों ने भी इसकी शिकायतें की हैं। अवैध वेंडरिंग के अलावा यात्रियों के सामान की चोरी जैसी बातें तो आम है और इटारसी स्टेशन का नाम सुनते ही यात्री सतर्क हो जाते हैं। जंक्शन पर बिक रहा खानपान यात्रियों के लिए बड़ी समस्या हैं। खानपान स्टॉल व अवैध वेंडर ठीक खाना नहीं देते हैं, यह पूर्व के अधिकारियों ने भी स्वीकार किया है। कई बार उच्च अधिकारियों को खानपान सामग्री में गड़बड़ी की शिकायतें मिली थीं। एक बार स्टॉल से पॉवभाजी, आलूबड़ा खाने से यूपी केवि की 20 छात्राओं की तबीयत बिगड़ी थी। इसके बाद प्लेटफार्म 4-5 के दो स्टॉल भी सील किए थे।
ओवर चार्जिंग की भी है शिकायत
रेलवे प्लेटफार्म पर ओवर चार्जिंग की भी शिकायतें आम हैं। हालांकि यह शिकायत सबसे अधिक गर्मियों में आती है। अब ठंड का सीजन आ गया है। रात के वक्त हाथ में केतली और थर्मस लेकर घूमते बड़ी संख्या में वेंडर रात के वक्त प्लेटफार्म पर दिख जाएंगे। ठंड में अचानक ऐसे चाय बेचने वालों की संख्या में बढ़ोतरी हो जाती है जो अवैध होते हैं, बावजूद इसके न तो कमर्शियल विभाग इस ओर ध्यान देता है और ना ही सुरक्षा से जुड़े अधिकारी यहां ध्यान देते हैं। खास बात तो यह है कि मीडिया और अन्य लोगों को प्लेटफार्म पर अवैध वेंडर दिखाई दे जाते हैं, केवल उन लोगों को नहीं दिखते जिनके कंधों पर इनकी रोकथाम करने की जिम्मेदारी होती है।
पूर्व सूचना देकर आते हैं अधिकारी
जोन-मंडल के अधिकारी पूर्व सूचना के आते हैं, इससे यहां सारी व्यवस्थाएं चाक-चौबंद कर ली जाती हैं। भोपाल या जबलपुर से अधिकारियों के इटारसी आने के पहले स्थानीय अधिकारी व्यवस्थाओं में सुधार कार्य कर लेते हैं और अधिकारियों के जाते ही फिर पहले जैसा माहौल हो जाता है। खानपान स्टॉल के कर्मचारियों ने यात्रियों के बैठने के स्थान पर कब्जा, ओवरचार्ज, अच्छी खानपान सामग्री की कमी सहित कई समस्याएं बढ़ जाती हैं। स्टेशन और आउटर पर अवैध वेंडरों का कार्य थम नहीं रहा है। सांसद उदय प्रतापसिंह भी लोकसभा में अवैध वेंडरिंग का मुद्दा संसद में उठा चुके हैं। तब स्टेशन मास्टर सहित डीसीआई, आरपीएफ थाना प्रभारी सहित करीब आधा दर्जन अधिकारियों के तबादले भी हुए थे। उस दौरान तो रेलवे बोर्ड, आरपीएफ क्राइम ब्रांच सहित मंडल और जोन के अधिकारियों ने यहां कड़ी निगरानी रखी फिर दृश्य वही हो गया जो हमेशा रहता है।
इनका कहना है…!
देखिये, हमने व्यवस्थाओं में काफी हद तक सुधार किया है। व्यवस्थाएं पहले से कहीं ज्यादा बेहतर हुई हैं। फिर भी आप लोगों का भी दायित्व बनता है। आप मेरे पास फोटोग्राफ्स भेंजे, मैं दिल्ली से बैठकर कार्रवाई कराता हूं।
रमेशचंद्र रत्न, चेयरमेन रेलवे बोर्ड पैसेंजर कमेटी