हवन-पूजन भंडारे के साथ भागवत कथा का हुआ समापन

Post by: Manju Thakur

सृष्टि की हर वस्तु सीखने योग्य है-श्रीजी दीदी
इटारसी। इस संसार की हर वस्तु सीखने योग्य है। हर वस्तु से कुछ न कुछ सीखा जा सकता है। अगर मनुष्य चाहे तो किसी जीवित व्यक्ति को गुरु बनाये बिना बहुत कुछ सीख सकता है। दत्तात्रेय जी ने अपने जीवन में पृथ्वी, जल, तेज, वायु, आकाश, मधुमक्खी और भौरे जैसे 24 गुरु बनाये थे, जिनसे उन्होंने कई सारी शिक्षाएं लीं साथ ही उन्होंने अंतिम गुरु अपने शरीर को बनाया क्योंकि मानव शरीर का हर अंग कुछ न कुछ शिक्षा देता है।
उक्त उद्गार इंदिरा कॉलोनी में लायन दीपचंद धारगा की स्मृति में धारगा परिवार द्वारा आयोजित भागवत कथा के अंतिम दिवस पर वृंदावन धाम से पधारी साध्वी श्री दीदी ने व्यक्त किये। रविवार को कथा को हवन पूजन एवं विशाल भंडारे के साथ विराम दिया गया। कथा के अंतिम दिन साध्वी जी ने नाम की महिमा बतायी साथ ही सुदामा चरित्र, यदु जी का चरित्र एवं दत्तात्रेय जी के चरित्र संबंधी कथा का सभी श्रद्धालुओं को रसपान कराया। भगवान श्री कृष्ण ने अपने धाम गमन करते हुए आखरी उपदेश में कहा है कि मुझे न ही योग रस्सी से बांधा जा सकता है, न वृत्त रस्सी से और ना ही अन्य किसी रस्सी से। परंतु जो व्यक्ति मेरा कीर्तन करता है, सत्संगों में जाता है, मेरी निश्छल भाव से भक्ति करता है, केवल वही व्यक्ति मुझे अपने प्रेम रूपी रस्सी में बांध सकता है।

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