बंगाली कालोनी में 48 घंटे का निरंतर श्री हरिनाम संकीर्तन प्रारंभ

Post by: Rohit Nage

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इटारसी। बंगाली कालोनी (Bengali Colony) में गुरूवार शाम 6 बजे से निरंतर 48 घंटे का श्री हरि नाम संकीर्तन (Shri Hari Naam Sankirtan) शुरू किया गया है। बंगाली समाज (Bengali Samaj) के पुरोहित नेपाल चक्रवर्ती (Purohit Nepal Chakraborty) ने बताया कि हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे, हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे, यह वो हरे कृष्ण महामंत्र का जाप है, जिसे कीर्तन द्वारा झूमकर, नाचकर, गाकर, वाद्य यंत्रों द्वारा प्रस्तुत किया जाता है। श्री चक्रवर्ती ने बताया कि 20 अप्रैल, शनिवार को अखंड हरिनाम संकीर्तन का समापन होगा। इसी दिन संध्या सात बजे से नगर कीर्तन महोत्सव मनाया जाएगा।

आयोजन में जो मंडलियां आयी हैं, उनमें श्री सत्यहरि सम्प्रदाय पहाड़पुर बैतूल मप्र (Betul Madhya Pradesh) से मंडली प्रमुख सपन के नेतृत्व में, श्री शिव सम्प्रदाय शिवसागर बैतूल मप्र परान के नेतृत्व में, अंजलि के नेतृत्व में श्री राधा-रानी सम्प्रदाय मंडल बादलपुर बैतूल मप्र से, कृष्णा के नेतृत्व में श्री नित्यानंद सम्प्रदाय फुलवारिया बैतूल मप्र से और लक्ष्मण के नेतृत्व में श्री भक्तिबिंद सम्प्रदाय की मंडली कानपुर उत्तर प्रदेश (Kanpur Uttar Pradesh) से आयी है।

उल्लेखनीय है कि सोलहवीं शताब्दी की शुरूआत में अखंड बंगाल के भक्ति योग वैष्णव संप्रदाय के शीर्ष और महानतम संत चैतन्य महाप्रभु ने इस भक्ति विधि से पूरे भारत में भूचाल ला दिया था, कृष्ण भक्ति में सभी को रोमांचित और सराबोर कर दिया था। इनका बचपन का नाम विशंभर मिश्र था, गोर वर्ण, बड़ी आंखों और आकर्षक व्यक्तित्व के कारण चैतन्य के गुरु केशव भारती द्वारा इनके अन्य नाम गोर सुंदर और निमाई भी प्रचलित हैं। चैतन्य को भगवान कृष्ण का अवतार भी माना गया। सभी सनातनी, आर्य, द्रविण देवो में जिस पर सबसे ज्यादा सोचा गया, पूजा गया, स्वीकार किया गया, लिखा गया वे महाप्रभु कृष्ण हैं।

ज्ञान ,कर्म और तप के अलावा ईश्वर प्राप्ति का भक्ति योग से कीर्तन प्राप्ति का यह तरीका सबसे अधिक लोकप्रिय प्रचलित है। वैष्णव संप्रदाय के संस्थापक वल्लभाचार्य के इस भक्ति मार्ग को चैतन्य ने अपनाकर पूरे अखंड भारत को आंदोलित और अभिभूत कर दिया। चैतन्य महाप्रभु ढोलक, मृदंग, झांझ, मंजीरे, के वादन के साथ, पैदल चलते हुए, झूमते हुए, नाचते हुए, रुदन करते हुए प्रभु का स्मरण करते थे, अखंड भारत में भ्रमण और प्रवास करते थे। महाप्रभु कृष्ण की ऐसी अनन्य उपासना, असाधारण एकाग्रता के चलते दुनिया के ईसाई देशों के नागरिक भी इस्कान द्वारा हिंदू धर्म में दीक्षित हो रहे हैं। बंगाली कालोनी के मंदिर में पूजन पाठ के साथ संकीर्तन प्रारंभ हुआ। इस संकीर्तन में इटारसी के अलावा अन्य शहरों बैतूल, चौपना से भी चैतन्य महाप्रभु की कृष्ण भक्ति के अनुयायी दर्शनों को पहुंचते हैं। वाद्य यंत्र लेकर भजन मंडल एवं भक्त घंटों कृष्ण भक्ति में डूबे रहते हैं।

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