इटारसी। पतित पावनी मां नर्मदा (Maa Narmada) अपने तट पर आने वाले भक्त जनमानस को जहां पुण्य फल प्रदान करती है वही उसकी पावन जलधारा मैं स्नान करने से मनुष्य का शरीर रोगमुक्त हो जाता है। उक्त उद्गार पुराण मधुसूदन महाराज ने संस्कार मंडपम में आयोजित नर्मदा पुराण कथा महोत्सव में व्यक्त किए। लोक शांति एवं जन कल्याण के लिए पटेल परिवार सोना सावरी द्वारा आयोजित नर्मदा पुराण कथा महोत्सव के तृतीय दिवस में प्रवचन कर्ता मधुसूदन महाराज ने महर्षि मार्कण्डेय के माध्यम से उपस्थित श्रोताओं को बताया कि मां नर्मदा की जलधारा सदैव ही प्रवाहित होती रहेगी। यह पूरा संसार मर जाएगा लेकिन नर्मदा अपने जल रूप में सदैव जीवित रहेगी इसलिए उनका नाम नर्मदा रखा गया है। आचार्य ने कहा कि नर्मदा तट (Narmada Ghat) पर दीप यज्ञ करने से शो अश्वमेध यज्ञ के समान फल प्राप्त होता है। इस प्रकार और भी अनेक ज्ञान पूर्ण प्रसंगों के साथ पतित पावनी मां नर्मदा की महिमा का वर्णन करते हुए पुराण मधुसूदन ने मधुर संगीत के साथ मात नर्मदे की आराधना की जिसे श्रवण कर कथा पंडाल में उपस्थित समस्त भक्त जनमानस भक्ति में झूम उठे। तृतीय दिवस कथा के प्रारंभ में मुख्य यजवान दीनदयाल पटेल बलराम पटेल ने समस्त श्रोताओं की ओर से पुराण पूजन कर आचार्य का स्वागत किया स्वागत समारोह का संचालन कार्यक्रम संयोजक अधिवक्ता अनिरुद्ध पटेल ने किया।
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शरीर को रोगमुक्त रखता है नीर नर्मदा- महाराज मधुसूदन

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