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चुनावी चौपाल : एक दिन का इंतजार, क्लीयर होगा, भाजपा-कांग्रेस में क्या खिचड़ी पक रही

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इटारसी। डर! हां, डर ही है ये, कि भाजपा के अधिकांश पार्षद शहर से बाहर भेज दिये गये। भाजपा के लिए मंगल करने जंगल की सैर पर भेजा गया है, ऐसा सूत्र बताते हैं। हालांकि चर्चा में राजस्थान का जिक्र भी आ रहा है। लेकिन, सत्य तो भाजपा ही जाने। परंतु जिला पंचायत चुनाव में हुआ धोखा पांच साल चुभता रहेगा। यह चुभन नगर पालिका में न हो, इसका पूरा इंतजाम भाजपा कर रही है। एक-दो पार्षदों को छोड़कर सभी को बाहर भेज दिया है।
कल 5 अगस्त को पर्यवेक्षक आएंगे, प्रबंध समिति की बैठक होगी, तभी इन निर्वाचित पार्षदों को इटारसी में देखा जा सकेगा। वैसे इतना तो तय माना जा रहा है, एक नाम तय हो चुका है। ये नाम किसका है, बस इस पर मुहर लगनी शेष है। मुहर भी माना जा रहा है कि यहां नहीं लगेगी। ये मुहर भी राजधानी से लगेगी। पर्यवेक्षक रघुनंदन शर्मा के सामने सभी पार्षदों को पेश किया जाएगा और पर्यवेक्षक अध्यक्ष के नाम पर पार्षदों से रायशुमारी करेंगे। माना जा रहा है कि तीन नामों की पैनल भोपाल जाएगी और वहां से एक नाम घोषित होगा। अलबत्ता इसमें विधायक की सहमति बिना कुछ नहीं होगा, इसमें दो राय नहीं।
जिला पंचायत में 10 सदस्यों वाली भाजपा में सेंध लगाकर तीन सदस्यों वाली कांग्रेस ने अपना अध्यक्ष बना लिया। अब इसी रणनीति के अंतर्गत कांग्रेस नगर सरकार बनाने की दिशा में आगे बढ़ रही है, कितनी सफल होगी, समय बताएगा, लेकिन अध्यक्ष पद भाजपा को तस्तरी में देने के मूड में कांग्रेस कतई नहीं लग रही है। जिस तरह से कांग्रेस की तैयारी चल रही है, वह लोगों को कयास लगाने के लिए नहीं बल्कि गंभीरता ओढ़े हुए है। कांग्रेस, अध्यक्ष और उपाध्यक्ष दोनों पदों के लिए रणनीति पर गंभीरता से काम कर रही है। दोनों पदों के लिए कांग्रेस को केवल चार कदम चलना है। यदि जिद राजनीति पर हावी हो गयी तो हो सकता है, अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद के दो दावेदार किसी गुप्त समझौते के अंतर्गत कांग्रेस के पक्ष में क्रास वोटिंग कर दें। हालांकि कांग्रेस के लिए भी यह उतना आसान नहीं है, जितना माना जा रहा है, क्योंकि कांग्रेस में महत्वाकांक्षा कम नहीं। फिर हर सफलता का श्रेय लेने की पिक्चर जो पिछले महीनों में देखने को मिली, उसने कई कांगे्रसियों को नाराज भी कर रखा है। वैसे बहुत पार्षद तो यह प्रचारित कर रहे हैं कि वे पार्टी नहीं बल्कि अपने बलबूते जीते हैं, क्योंकि पूरे नगर पालिका चुनाव में न तो कोई संगठन का साथ मिला और ना ही किसी बड़े नेता का। इतने पार्षद जीतकर आये हैं तो वे केवल अपने स्वयं की इमेज और मेहनत के कारण।
बावजूद इसके, कांग्रेस की अंदरूनी तैयारी तगड़ी है।  प्रभारी और नरसिंहपर से पूर्व विधायक सुनील जायसवाल भी कांग्रेस पार्षदों में उर्जा और विश्वास भर गये हैं। सबसे अलग, केवल पार्षदों के साथ उन्होंने बात की। जिला पंचायत का जिक्र करते हुए बताया कि कुछ भी असंभव नहीं, वहां केवल तीन थे, यहां 14 हैं। वे बीस नहीं, 18 दिख रहे और उनको केवल 16 के आंकड़े पर लाना है, जो नामुमकिन नहीं है। पार्षदों से कहा, आपस में नाम तय करके बता देना। अध्यक्ष और उपाध्यक्ष दोनों पदों के लिए। कांग्रेस के सूत्रों द्वारा बताया जा रहा है कि तुलसा वर्मा, अमित कापरे, श्रीमती सीमा भदौरिया, इरशाद अहमद सिद्दीकी की पत्नी रफतजहां सिद्दीकी और वार्ड 1 से दिलीप गोस्वामी भी अध्यक्ष बनने की चाहत रखते हैं, वे चाहे इससे इनकार करें। अब देखना है कि दोनों पार्टियां रणनीति में एकदूसरे से कैसे आगे निकलती हैं। इंतजार करें, केवल एक दिन और।

Rohit Nage

Rohit Nage has 30 years' experience in the field of journalism. He has vast experience of writing articles, news story, sports news, political news.

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