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वेंडर को आत्महत्या के लिए उकसाने वालों को सश्रम कारावास

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इटारसी। प्रथम अपर सत्र न्यायालय ने वेंडर अशोक सिंह भदौरिया को मारपीट कर उसे पैसे के लिए तथा काम नहीं करने देने की बात से लगातार प्रताडि़त करने से परेशान होकर आत्महत्या के लिए प्रेरित करने वालों को छह-छह वर्ष का सश्रम कारावास की सजा और जुर्माना से दंडित कियाहै।
बता दें कि अशोक भदौरिया ने रेलवे ट्रैक पर ट्रेन के नीचे आकर आत्महत्या कर ली थी। इस आत्महत्या के दुष्प्रेरण के आरोपी सुमित पटवा, नरेश आठनेरे, ईशान शाह एवं सुमित गिलानी को न्यायालय ने दोषी पाते हुए भारतीय दंड विधान की धारा 306 के तहत छह 6 वर्ष के सश्रम कारावास एवं दो 2000 रुपए के जुर्माने से दंडित किया है। जुर्माना अदा न करने पर सभी आरोपियों को छह-छह माह का अतिरिक्त सश्रम कारावास अलग से भुगताया जाएगा।
इस प्रकरण में अभियोजन की ओर से पैरवी करने वाले अपर लोक अभियोजक राजीव शुक्ला ने बताया कि 3 जुलाई 2017 को मंदिर के पास किलोमीटर 745 अप लाइन के किनारे एक व्यक्ति की लाश पड़ी थी जिसकी पहचान मृतक अशोक सिंह भदौरिया पिता देर पाल सिंह उम्र 25 वर्ष, निवासी सर्राफा बाजार सातवीं लाइन इटारसी के रूप में हुई थी। मृतक की जेब से एक सुसाइड नोट भी मिला था जिसमें आरोपीगणों का नाम उसे परेशान एवं प्रताडि़त करने के बारे में लिखा हुआ था। संपूर्ण जांच पर से तथा पीएम रिपोर्ट आने के पश्चात आरोपियों के विरुद्ध थाना जीआरपी इटारसी में अपराध पंजीबद्ध करते हुए जीआरपी ने उक्त प्रकरण में विवेचना कर अभियोग पत्र प्रस्तुत किया था ।
17 मई 2018 को प्रथम अपर सत्र न्यायालय इटारसी में प्रकरण वितरण हेतु आया था। इस प्रकरण में आरोपीगण के विरोध में अभियोजन की ओर से 13 साथियों का परीक्षण कराया तथा 23 दस्तावेज प्रदर्शित कराए थे।

ये लिखा न्यायालय ने

प्रकरण में दोनों पक्षों दलील सुनने के पश्चात न्यायालय ने अपने निर्णय में लिखा है कि अभियुक्तों द्वारा मिलकर लगातार मृतक से मारपीट कर प्रताडि़त करना उपरोक्त विवेचना अनुसार अभिलेख पर है, इसे ध्यान में रखते हुए आरोपियों को न्यूनतम दंड से दंडित किया जाना उचित नहीं है, एक व्यक्ति द्वारा किसी अन्य व्यक्ति को इस स्तर तक परेशान किया जाना कि वह अन्य व्यक्ति गरिमा पूर्ण जीवन जीने की समस्त संभावनाएं समाप्त मानते हुए आत्महत्या करने का निर्णय लेने की स्थिति में पहुंच जाए अपने आप संभवत: गंभीर अपराध होकर न्यूनतम दंड से दंडित किए जाने योग्य नहीं है। वही जब उक्त कृत्य कई व्यक्ति द्वारा मिलकर पूर्ण होशो हवास में मृतक के प्रति लगातार किया जाता है तो ऐसा कृत्य अपराध की गंभीरता को और अधिक बढ़ा देता है जिसे कठोर दंड से दंडित किया जा कर इस प्रकार की आपराधिक प्रवृत्ति को हतोत्साहित किया जाना अत्यंत आवश्यक हो जाता है।

ये सुनायी गई है सजा

अभियुक्तों को धारा 306 के तहत 6-6 वर्ष के सश्रम कारावास एवं दो 2000 के अर्थदंड से दंडित किया जाना यह न्यायालय उचित पाता है। इस प्रकरण में शासन की ओर से संपूर्ण पैरवी एजीपी राजीव शुक्ला एवं एजीपी भूरे सिंह भदौरिया ने प्रथम अपर सत्र न्यायालय में की गई थी, प्रकरण में चारों आरोपी जमानत पर थे, उन्हें सजा भुगतने जिला जेल होशंगाबाद भेज दिया गया है।

Rohit Nage

Rohit Nage has 30 years' experience in the field of journalism. He has vast experience of writing articles, news story, sports news, political news.

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